मशरूम अपशिष्टों से तैयार की जा सकेगी ऑर्गेनिक खाद

November 23 2021

अब मशरूम अपशिष्टों से कृषि और बागवानी कार्य में लाभ मिलेगा। मशरूम क्रोप के बाद खुले में फेंके जाने वाले वेस्ट से किसान-बागवान ऑर्गेनिक खाद तैयार कर सकते हैं। राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान केंद्र सोलन के विशेषज्ञों ने मशरूम के अपशिष्टों को कृषि और बागवनी के लिए उत्तम बताया है। जिला सोलन सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में किसानों ने वेस्ट की खाद तैयार कर खेतों में डालनी शुरू कर दी है।

डीएमआर के विशेषज्ञों की मानें तो मशरूम के वेस्ट में नाइट्रोजन, फासफोर्स और पोटाशियम की प्रचुर मात्रा होती है। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। इसका प्रयोग किसान-बागवान मशरूम अपशिष्टों को रि-साइकिल करने के बाद कर सकते हैं। केंचुआ खाद बनाने में भी इस प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए मशरूम वेस्ट को साफ-सुथरी जगह पर गड्डा खोदकर उसमें 8 से 16 माह तक अच्छी तरह सड़ने के बाद तैयार खाद का प्रयोग किया जा सकता है।

कच्चे अपशिष्ट से भूमि को नुकसान

जागरूकता के अभाव में कई बार किसान-बागवान मशरूम के कच्चे अपशिष्ट खेतों में डाल देते हैं। इससे जमीन को नुकसान होता है। मशरूम वेस्ट खुले में छोड़ने से कई प्रकार की पर्यावरण समस्याएं होती हैं। इससे जमीन में मिलने वाला पानी भी दूषित होता है। कई हानिकारक सॉल्ट भूमि के नीचे पानी में मिल जाते है। इसमें कार्बन और नाइट्रोजन की अधिकता के कारण कई दूसरे जीवाणु पनपते हैं।

प्रतिवर्ष निकलता है पांच लाख मीट्रिक टन वेस्ट

भारत में प्रतिवर्ष करीब पांच लाख मीट्रिक टन मशरूम वेस्ट निकलता है। इसमें 1.9 फीसदी नाइट्रोजन, 0.4 फासफोर्स और 2.4 फीसदी पोटाशियम होता है। यह भूमि में पोषक तत्वों की कमी दूर कर उपजाऊ क्षमता कई गुना बढ़ाता है। मशरूम वेस्ट को पांच फीसदी के हिसाब से खेतों में डालने से पोटाशियम और फासफोर्स की कमी दूर होगी। इसे 25 फीसदी के हिसाब से खेतों में मिलाया जाए तो नाइट्रोजन की कमी भी दूर करेगा।

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स्रोत: Amar Ujala