बाराबंकी के किसानों से सीख लें पश्चिमी यूपी के किसान, कृषि अनुसंधान संस्थान में बोले विशेषज्ञ

October 12 2021

भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम में सोमवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जैविक एवं सूक्ष्म तत्वों के उत्पादक एवं डीलर, कृषि उत्पादक संघ एवं स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों तथा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक ने भाग लिया।

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता  मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को गेहूं, चावल और गन्ने की फसल से आगे बढ़ना होगा। बाराबंकी में किसान दलहन, तिलहन के साथ दूध का उत्पादन भी करते हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान तीन फसलों पर ही निर्भर रह गया है। लखनऊ एक छोटा बाजार है। जबकि, दिल्ली एनसीआर बड़ा बाजार है। यहां का किसान गन्ना, गेहूं, चावल के अलावा दलहन, तिलहन और सब्जियों को उगाकर अपनी आय को बढ़ा सकता है।

उन्होंने कहा कि आज लोग गाय की जगह भैंस का दूध पीते हैं। भैंस के दूध में फैट है। जबकि, गाय के दूध में प्रोटीन होता है। परंतु, इसके बावजूद भी लोग भैंस के दूध ज्यादा पी रहे हैं और गाय की जगह भैंस का पालन होने लगा है। सरकार गोपालन को लेकर इसीलिए बढ़ावा दे रही है, ताकि लोगों में प्रोटीन की कमी न हो।

किसान आंदोलन पर बोलते हुए कहा कि किसानों में जागरूकता का अभाव है। इसीलिए वह आंदोलन कर रहे हैं। कृषि कानून किसानों के हित के लिए है। किसानों को कृषि कानूनों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। भाजपा सरकार में पिछले साढे चार साल में गेहूं 28 प्रतिशत हुआ है, तो 17 प्रतिशत चावल में वृद्धि हुई है। चीनी उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। जबकि, खपत कम है।

संस्थान के निदेशक डॉ. आजाद सिंह पंवार ने भी बताया कि कृषि में रसायनों के प्रयोग को घटाना, जैविक आगतों के उपयोग को बढ़ाकर उत्पादन लागत को घटाना एवं उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाने पर जोर दिया। इस दौरान संस्थान के निदेशक डॉ आजाद सिंह पवार,चंद्रभानु आदि मौजूद रहे।

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स्रोत: Amar Ujala