निर्धारित दर पर खाद आपूर्ति के लिए कृषि विभाग ने स्थापित किया नियंत्रण कक्ष

July 31 2021

जिले में किसानों को खाद के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लगातार किसान खाद की मांग कर रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि किसान रात के समय खाद के लिए लाइन में लगे हुए थे। इसे लेकर कृषि विभाग की किरकिरी हुई। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक हफ्ते पहले भारतीय किसान संघ के बैनर तले कवर्धा शहर के बाहर ग्राम जोराताल में नेशनल हाईवे को जाम कर दिया था। इसके बाद कृषि विभाग जागा। कृषकों को आवश्यकतानुसार रासायनिक उर्वरक की आपूर्ति निर्धारित दर पर कराने के लिए जिला, विकासखंड स्तर पर उर्वरक नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है। जिला अनुज्ञापन अधिकारी (उर्व.) एवं उपसंचालक कृषि ने बताया कि नियंत्रण कक्ष के लिए वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी समेत अन्य कर्मचारियों की ड्यूृटी लगाई है। अधिकारी, कर्मचारी कृषकों से उर्वरक विक्रय के संबंध में किसी भी प्रकार की शिकायत जैसे अधिक दाम पर उर्वरक विक्रय, बिल प्रदाय न करना आदि प्राप्त होने पर संबंधित उर्वरक निरीक्षकों को सूचित करेंगे।

कमी के कारण निजी दुकानों से खरीद रहे खाद

किसान एक ओर अच्छी बारिश से खुश नजर आ रहे हैं तो दूसरी ओर रासायनिक खादों की कमी से परेशान भी हैं । किसानों ने बताया कि खेतो में रोपाई व बियासी का कार्य तो चल ही रहा था। झड़ी लगने से जिन खेतो में पानी की कमी थी उनमें भी पानी भर गया है। मौसम खुलते ही कृषि कार्यो में तेजी आ जाएगी, लेकिन रासायनिक खादों की समस्या बनी हुई है। समितियों में यूरिया खाद की कमी बरकारर है। जबकि व्यापारियों के पास यह मोटी कीमत पर खाद उपलब्ध है।

आर्थिक नुकसान हो रहा

किसानों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। कृषि कार्य के लिए साहूकारों से कर्ज लेकर मोटी कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है । किसानों ने बताया कि एक एकड़ में दो से तीन बोरी यूरिया खाद का छिड़काव करना पड़ता है। खाद व्यापारियों से एक बोरी 400 रुपये से 500 रुपये तक में खरीदनी पड़ रही है । इस तरह उन्हें दोहरी मार झेलना पड़ रहा है ।

लगातार बारिश से किसान खुश

सावन के पहले सोमवार की रात से नगर सहित अंचल में सावन की झड़ी लग गई थी। इसके बाद से अब तक बारिश जारी है। वहीं खेत खलिहानों में पानी भर जाने से मौसम खुलते ही रोपाई व बियासी के कार्यों में तेजी आने की संभावना दिखाई देगी। इससे पहले अंचल में पखवाड़े भर से बारिश सही ढंग से नहीं होने के कारण किसानों के चेहरों में मायूसी छाई हुई थी। अब जो बारिश हुई है वह धान की फसल के लिए संजीवनी साबित हुई है।

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स्रोत: Nai Dunia