डी-कंपोजर से पराली जलाने की समस्या से मिलेगा छुटकारा, जानें कैसे?

October 13 2021

राजधानी दिल्ली के आस-पास के राज्यों को पराली से होने वाले प्रदूषण की समस्या से राहत मिलने वाली है। दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पूसा डी-कंपोजर तैयार किया है, जो फसलों के लिए अच्छा माना जाता है।

इसके साथ ही पराली जलाने की समस्या को भी दूर करने में सहायक है। आइए पूसा डी-कंपोजर की खासियत बताते हैं।

पूसा डीकंपोजर बनाने की क्रिया

किसान भाईयों को पूसा डी-कंपोजर का घोल बनाने के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  • सबसे पहले एक बड़े बर्तन में 25 लीटर पानी लेकर और उसमें गुड़ डाल कर उबाल लें।
  • फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
  • जब गुड़ का घोल ठंडा हो जाए, तो उसमें बेसन और फूंगी वाले कैप्सूल को मिला लें।
  • इसके बाद घोल को मलमल के कपड़े से ढक कर कुछ दिन के लिए छोड़ दें, ताकि इसमें फंगस पनप सके।
  • इस तरह से पूसा डी-कंपोजर तैयार हो जाएगा।
  • इसके बाद खेत में छिड़क दें।

पूसा डी-कंपोजर की मात्रा

आप एक एकड़ खेत में पूसा डी-कंपोजर की 10 लीटर तक की मात्रा का कर सकते हैं।

पूसा डी-कंपोजर है बहुत उपयुक्त

जानकारी के लिए बता दें पूसा डी-कंपोजर खेत में पड़ी पराली को खाद में बदल देती है। यह घोल पराली को खाद में बदलने के लिए 15 दिन का वक्त लेता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस घोल के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही फसल की अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह किसानों के लिए पूसा डीकंपोजर काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

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स्रोत: Krishi Jagran