जैविक खेती करने के लिए किसानों को सरकार दे रही बढ़ावा, मिलेगा इसका लाभ

December 15 2021

भारत की भूमि के विषय पर अगर चर्चा करें तो यहां की भूमि कृषि कार्य यानी खेती के लिए बहुत उपयुक्त है। इतिहास पर अगर नजर डालें तो भारत की भूमि में जैविक खेती का प्रचलन शुरू से ही रहा है। लेकिन बढ़ते प्रदुषण और रासायनिक खादों के इस्तेमाल की वजह से भूमि तक प्रदूषित हो चुकी है और लोगों में बिमारियों का खतरा बढ़ रहा है, जिस वजह से सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। किसान भी जैविक खेती की तरफ अपना रुझान बढ़ा रहे हैं।

आपको बता दें जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी इसी 16 दिसंबर को गुजरात के आनंद में नेचुरल फार्मिंग पर नेशनल कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे। जिसका उद्देश्य इस्तेमाल हो रहे खतरनाक केमिकल से मुक्त खेती के भविष्य का रोडमैप तय करने की कोशिश होगी।

जैविक खेती क्या है?

जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें मिट्टी अपनी उर्वकता को बनाई रखती है। वहीं जैविक खेती मिट्टी को भी कम प्रदुषित करती है। मिट्टी की उर्वरता को बनाए और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखती है और जैव विविधता का संरक्षण भी करती है। जैविक खेती में सिंथेटिक कीटनाशकों और रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, जैविक खेती खेती का सबसे सुरक्षित तरीका है जो स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण की रक्षा करेगा।जैविक खेती के तरीकों में फसल चक्रण, मिट्टी प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, पशुधन और आनुवंशिक संशोधन शामिल नहीं है।

अब तक जुड़ चुके है इतने किसान

आपको बता दें रासायनिक मुक्त खेती के लिए लंबे समय से की जा रही प्रधानमंत्री मोदी की अपील रंग लाने लगी है। इस समय देश में जैविक खेती से लगभग 44 से अधिक लाख किसान जुड़ चुके हैं, जबकि 2003-04 में भारत में महज 76 हजार हेक्टेयर में ही ऐसी खेती हो रही थी। उधर, नेचुरल फार्मिंग के तहत अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया जा चुका है।

जैविक खेती की मुख्य विशेषताएं

  • जैविक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, जैविक सामग्री का उपयोग करना ताकि मिट्टी की गुणवत्ता की रक्षा की जा सके।
  • खाद का उपयोग करके अप्रत्यक्ष रूप से फसल पोषक तत्व प्रदान करना।
  • हरी खाद और फलियों का उपयोग करके मिट्टी में नाइट्रोजन के स्तर में सुधार करना।
  • प्राकृतिक फसल उत्पादन के साथ कीटों, खरपतवारों और रोगों को नियंत्रित करना।
  • पर्यावरण, वन्य जीवन और मानव स्वास्थ्य की देखभाल करना।

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स्रोत: Krishi Jagran