जबलपुरी मटर की ब्रांडिंग करेगी राज्य सरकार, अब किसानों को घर बैठे मिलेगा फायदा

October 30 2021

मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के किसानों के लिए बेहद अच्छी खबर है। दरअसल, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मटर की ब्रॉन्डिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहा है। इसका नाम जबलपुरी मटर रखा गया है।

इसका लोगो भी तैयार किया गया है। यह लोगो सप्लाई होने वाली मटर के बैग पर लगाया जाएगा। इसे जल्द ही तैयार कर व्यापारियों को दिया जाएगा। बता दें कि जो किसानों से मटर खरीदकर देश के विभिन्न हिस्सों में भेजते हैं, उन्हें इसके जरिए एक अलग पहचान मिल पाएगी।

जिले में मटर की खेती

आपको बता दें कि हर साल जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर रकबे में मटर की खेती की जाती है। इसमें करीब 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा का उत्पादन होता है, साथ ही करीब 400 करोड़ का कारोबार होता है। इतना ही नहीं, जबलपुर की कुछ तहसीलों में मटर की व्यापक पैमाने पर पैदावार की जाती है। इसकी बिक्री देश के कई राज्यों में होती है। फिलहाल इसकी कोई पहचान नहीं है। यह बोरियों में पैक होकर शहर से बाहर चली जाती है। इसके बाद मंडियों में पहुंचकर बाजारों में चली जाती है, इसलिए इसे एक नई पहचान दिलाने की कवायद की जा रही है।

ओडीओपी के तहत चयन

हरे मटर का चयन आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश और एक जिला एक उत्पाद के तहत जिला प्रशासन द्वारा किया गया है। इसके तहत मटर की ब्रॉन्डिंग की जाएगी। इसके साथ ही तैयार किए जा रहे लोगो में अपील के रूप में मां नर्मदा का उल्लेख किया जाएगा। बता दें कि अपील की टैग लाइन ‘मां नर्मदा के पवित्र जल से सिंचित जबलपुरी मटर’ होगी. इसमें हरी मटर की फल्ली भी रहेगी।

बैग पर लगेगा टैग

अधिकारियों की मानें, तो यहां किसान हर साल करीब 400 करोड़ रुपए की हरी मटर बेचते हैं। इसकी आपूर्ति महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात व दक्षिण भारत के कई राज्यों में की जाती है। इसका निर्यात प्रसंस्करण के बाद प्रमुख देशों में किया जाता है। बात दें कि हरे मटर की ब्रॉन्डिंग एक जिला एक उत्पाद के तहत की जा रही है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा रहा है। इसका एक ट्रेडमार्क होगा। यह टैग मटर के बैग पर लगाया जाएगा। इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

अन्य जरूरी बातें

  • शहर के अलावा बाहरी राज्यों 80 प्रतिशत मटर जाता है।
  • देश के आधा दर्जन राज्यों में मटर की सप्लाई होती है।
  • जापान और सिंगापुर में व्यंजनों के लिए निर्यात होता है।
  • एक बड़ी और दूसरी छोटी प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की‌ गई है।
  • जिले में करीब 6 से 8 हजार मीट्रिक टन मटर की प्रोसेसिंग होती है।
  • सहजपुर, सम्भागीय और स्थानीय मंडियों से मटर विक्रय होती है।
  • कई व्यापारी किसान के खेतों से सीधे खरीदी करते हैं।

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स्रोत: Krishi Jagran