क्रिकेट की नाकामी ने निकाली खेती में कामयाबी की राह

January 17 2022

सपनों के टूटने से किस तरह नए सपने संजोते हुए जिंदगी को सफलता की राह दिखाई जाती है, यह अरविंद से सीखना चाहिए। बचपन से क्रिकेटर बनने का जुनून था। इस सपने के साथ वे वर्ष 2019 में बेंगलुरु गए। मगर राह नहीं खुल पाई। घर लौटे तो निराशा में डूबे हुए थे। ऐसे में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में पढ़ रहे फुफेरे भाई ने उन्हें खेती करने के लिए प्रेरित किया। बात जम गई। अरविंद ने पुश्तैनी साढ़े तीन एकड़ बंजर जमीन को खेती योग्य बनाया और टमाटर लगाया। इस तरह सात माह में ही उन्होंने करीब 12 लाख रुपये की आमदनी कर ली है। इतना ही नहीं, वे करीब 60 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

जी हां, सफलता की यह कहानी कवर्धा जिले के देहानडीह गांव निवासी अरविंद जायसवाल (22) की है। उन्होंने बताया कि पहले तो उन्होंने बंजर जमीन को तीन लाख रुपये खर्च कर खेती योग्य बनाया। ट्यूबवेल और तार फेंसिंग कराई। जून 2021 में टमाटर की नर्सरी लगाई। इसके लिए टमाटर की नामधारी-962 और सिंजेंटा-3150 प्रजाति का उपयोग किया। 17 सितंबर को पहली तुड़ाई हुई।

इसके बाद से अब तक वे करीब 22 लाख रुपये का टमाटर बेच चुके हैं। इसमें अब तक का सारा खर्च करीब 10 लाख रुपये निकाल दें तो भी 12 लाख रुपये तक का मुनाफा हुआ है। इस सफलता से उत्साहित अरविंद अब साढ़े चार एकड़ में खरबूजा की खेती की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए नर्सरी लगाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के पीछे फुफेरे भाई वेदप्रकाश जायसवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में बीएससी एग्रीकल्चर के विद्यार्थी हैं। पिता श्याम जायसवाल व परिवार के अन्य सदस्यों ने भी खेती के लिए प्रोत्साहित किया।

खाद-पानी और दवा का रखा ध्यान

अरविंद ने बताया कि ड्रिप सिंचाई पद्धति से वे पौधों को जरूरत होने पर पानी देते हैं। समय-समय पर खाद डालते हैं। फफूंद नाशक, कीटनाशक आदि का छिड़काव करते हैं। वेदप्रकाश ने बताया कि नामधारी-962 और सिंजेंटा-3150 प्रजाति के टमाटर को तुड़ाई के बाद तीन से चार दिन खुले में भी छोड़ सकते हैं। अन्य प्रजाति के मुकाबले यह जल्दी खराब नहीं होता। बाजार में इसका दाम भी अच्छा मिलता है।

नई टेक्नोलाजी का किया होगा उपयोग

नामधारी-962 और सिंजेंटा-3150 टमाटर की हाईब्रिड वैरायटी है। इसमें खाद की मात्रा अधिक लगती है। हाई प्रोडक्शन होने से इसका उत्पादन भी अच्छा होता है। अरविंद ने नई टेक्नोलाजी का उपयोग किया होगा।

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स्रोत: Nai Dunia