किसानों को डीएपी 1200 रु. में ही मिलेगी केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

October 15 2021

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने दिनांक 20.05.2021 की अधिसूचना के तहत फॉस्फेटिक और पोटासिक (पीएंडके) उर्वरकों की बढ़ी हुई कीमतों को 01.10.2021 से 31.03.2022 तक पूरे वर्ष 2021-22 के लिए लागू करने को अपनी मंजूरी दे दी है।

केन्द्र सरकार ने डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की बढ़ी हुई अंतरराष्ट्रीय कीमतों को समाहित कर लिया है। केन्द्र सरकार ने एक विशेष एकमुश्त पैकेज के रूप में प्रति बैग डीएपी की सब्सिडी को 438 रुपए बढ़ाने का निर्णय लिया, ताकि किसानों को उसी कीमत पर डीएपी मिल सके।

केन्द्र सरकार ने एक विशेष एकमुश्त पैकेज के रूप में सब्सिडी को 100 रुपए प्रति बैग बढ़ाकर सबसे अधिक खपत वाले तीन एनपीके ग्रेडों (10:26:26, 20:20:0:13 और 12:32:16) के उत्पादन के लिए कच्चे माल की बढ़ी हुई अंतरराष्ट्रीय कीमतों को समाहित कर लिया है, ताकि किसानों को इन एनपीके ग्रेडोंवाले ये उर्वरक सस्ती कीमत पर मिल सकें। अनुदान के इस एकमुश्त पैकेज से सरकार पर सब्सिडी के रूप में 35,115 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्ष 2021-22 (1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक) के लिए पीएंडके उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

फोस्फेटिक उर्वरकों पर केंद्र सरकार के अनुदान के विशेष पैकेज की घोषणा के बाद कृभको के प्रबंध संचालक श्री राजन चौधरी ने सोशल मीडिया के माध्यम से कृभको के एनपीके की मौजूदा कीमत 1700 रु. से घटा कर 1470 रु. प्रति बैग करने की घोषणा की है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत को फोस्फेटिक उर्वरकों के बड़े खरीददार के रूप में जाना जाता है, इसी कारण भारत से फोस्फेटिक उर्वरक या इसके कच्चे माल की मांग अंतरास्ट्रीय बाजार में आते ही कीमतों में उथल पुथल शुरू हो जाती है। परिणाम स्वरुप भारत सरकार को भारतीय किसानों के हित में उर्वरक पर अनुदान में वृद्धि करनी पड़ती है। लेकिन सरकार के इस कदम का वास्तविक लाभ फोस्फेटिक उर्वरक के अंतर्राष्ट्रीय बाजार को मिलता है।

पिछले कुछ महीनों से फास्फेटिक उर्वरकों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी लेकिन भारत सरकार ने उपयोग को कम ना करवाते हुए उस पर अनुदान देकर किसानों को राहत दी थी। इस निर्णय का अंतरराष्ट्रीय बाजार द्वारा उर्वरकों की कीमत और अधिक बढ़ाते हुए सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। जब यह बात अंतरराष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुई कि भारत सरकार द्वारा उर्वरक निर्माता कंपनियों को घाटे में मजबूर करते हुए उर्वरक विक्रय के लिए बाध्य किया जा रहा था, इसलिए सरकार पर चौतरफा दबाव के तहत सब्सिडी बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि यह कठिन निर्णय सरकार को उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में चुनाव को देखते हुए लेना पड़ा। परन्तु “अब पछताए का होत जब चिड़िया चुग गई खेत !” अब तो रबी की बोनी भी शुरू हो चुकी है और अनुदान वृद्धि के बाद भारतीय कंपनिया फोस्फेटिक उर्वरकों के अन्तराष्ट्रीय बाजार में सौदे भी करती है तो भी भारतीय किसान को समय पर उर्वरक मिलना संभव नहीं है केंद्र सरकार अनुदान वृद्धि का यही निर्णय कुछ माह पूर्व ले लेती तो किसान को बोनी के समय खाद के लिए भटकना नहीं पड़ता।

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स्रोत: Krishak Jagat