किसान सिंचाई करने में करें बदलाव

November 24 2021

पुराने समय से लेकर आधुनिक समय तक समय के साथ-साथ फसलों की सिंचाई करने के तरीके में काफी बदलाव हुए है। पुराने समय में जहां संसाधनों की गैर मौजूदगी के चलते किसानों के लिए फसलों की सिंचाई करना काफी मुश्किल भरा काम हुआ करता था और बेंडी, रहट और ढेकुलि से सिंचाई हुआ करती थी तो वही आज के समय में सिंचाई की व्यवस्था काफी आसान हो गई है और किसान सोलर पंप, ट्यूबवेल आदि से सिंचाई कर रहे है। इसके बावजूद तमाम क्षेत्रों में आज भी सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों की फसलें बारिश के पानी पर निर्भर है।

यह बात सांसद रोडमल नागर ने महाराष्ट्र के जलगांव किसानों को नई तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए किसानों को संदेश के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि सिंचाई की तकनीक में दिन-प्रतिदिन हो रहे बदलाव को किसान व्यवहारिक तौर पर उपयोग करें। नई सिंचाई तकनीक के लिए किसानों को समझना पडेगा। इसको लेकर नवीन तकनीकों के विषय में केबी पाटिल द्वारा विभिन्ना तकनीकों का प्रयोग एवं निर्माण प्रक्रिया का अवलोकन कराया गया है। जिसके माध्यम से आने वाले समय में किसानों को प्रषिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे। कृषि सिंचाई में नवीन तकनीकों का उपयोग कर हम जल की प्रत्येक बूंद का उपयोग अधिकतम उपज के लिए कर सकते है। लेकिन आज भी हमारे क्षे में कई किसान बड़ी मात्रा में पानी का अपव्यय करते है। जो नहीं करना चाहिए। सांसद श्री नागर ने कहा कि कुंओं और नलकूपों से फसलों की सिंचाई करने में काफी पानी की जरुरत होती है ड्रिप पद्घति से पानी की भरपूर बचत होती है इसमें बूंद-बूंद पानी का सही उपयोग होता है साथ ही पौधे के तने के नीचे पन्नाी बिछी होने के कारण पानी का वाष्पीकरण नहीं होता। इससे भूमि में नमी बनी रहती है। इससे भरपूर उत्पादन होता है पौधों में निश्चित जगह पर पानी मिलने से कीट व्याधि का भी खतरा नहीं रहता है। ड्रिप सिंचाई से पानी सीधे पौधों की जडों में जाता है इसलिए सभी किसानों को इस तकनीकी की और रुख करना चाहिए।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Nai Dunia