किसान डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग करें

November 06 2021

रबी की बुवाई का कार्य चालू हो चुका है ऐसे में अच्छे बीज के साथ-साथ संतुलित पोषक तत्वों के प्रबंधन का भी अपना अलग ही महत्व है। जब पोषक तत्वों के प्रबंधन की बात आती है तो किसान भाइयों को सबसे पहले जो उर्वरक दिखते है डीएपी और यूरिया है। इन दोनों उर्वरकों से पौधों को केवल दो पोषक तत्व ही मिलते हैं नाइट्रोजन और फास्फोरस। जबकि पौधों को तीन प्राकृतिक तत्वों को छोड़ दिया जाए तो 12 पोषक तत्वों की विशेष आवश्यकता होती है जिसमें से 6 ज्यादा मात्रा में चाहिए  (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नेशियम और सल्फर) और 6 की आवश्यकता तुलनात्मक रूप से बहुत है (लोहा, ताम्बा, जस्ता, मैगनीज,बोरोन और मोलिब्डेनम)।

जब हम डीएपी का उपयोग करते हैं तो हम केवल दो पोषक तत्व नाइट्रोजन (18 प्रतिशत) और फास्फोरस (46प्रतिशत) ही मिलते हैं, जबकि इसके स्थान पर अगर सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग किया जाए तो हमें 3 पोषक तत्व फास्फोरस (16 प्रतिशत), कैल्शियम (21 प्रतिशत) और सल्फर (11 प्रतिशत) मिलते हैं। सल्फर जैसे तत्वों की पूर्ति के लिए हम अतिरिक्त धन करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अगर प्रति किलो ग्राम पोषक तत्वों पर खर्च किए जाने वाले धन की बात की जाए, तो डीएपी से प्राप्त होने वाले प्रति किलोग्राम पोषक तत्व पर तुलनात्मक रूप से सर्वाधिक खर्च होता है।

इसकी गणना हम इस प्रकार देख सकते हैं। वर्तमान में 100 किलोग्राम डीएपी की कीमत 2400 रुपए हैं जिससे हमें 18 किलोग्राम नाइट्रोजन और 46 किलोग्राम फास्फोरस की प्राप्ति होती है। अब यदि समान मात्रा के नाइट्रोजन और फास्फोरस की पूर्ति हम यूरिया और सिंगल सुपर फॉस्फेट से करें तो हमें आवश्यकता होती है 40 किलोग्राम यूरिया की, जिसकी कीमत है लगभग 237 रुपए और 287.5 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट जिसकी कीमत है लगभग1582 रुपए कुल कीमत लगभग 1819 रुपए। किसान की कुल बचत लगभग 580 रुपए। इसके साथ सल्फर 31.6 किलोग्राम तथा 60.3 किलोग्राम कैल्शियम की आपूर्ति होती है। अगर कैल्शियम को छोड़ भी दिया जाए तो 31 किलोग्राम सल्फर के लिए बाजार में आपको 800 से 900 रूपए अतिरिक्त भुगतान करना होगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि 2 बैग डीएपी के स्थान पर सुपर फॉस्फेट और यूरिया का उपयोग करने से लगभग 1380-1480 रुपए की बचत होती है।

जो सबसे बड़ा फायदा सुपर फॉस्फेट का उपयोग करने से हमें मिलता है, वो है कैल्शियम और सल्फर की पूर्ति। जैसा कि अधिकांश किसान भाई जानते हैं, कुछ ख़ास फसलों को छोड़कर सामान्य फसलों में सल्फर का उपयोग नहीं किया जाता है, जबकि आवश्यकता तो सभी फसलों को होती है। इसी प्रकार से कैल्शियम की पूर्ति पृथक से कोई भी किसान सामान्य रूप से नहीं करता है और करता भी है, तो सब्जी फसलों में। सल्फर, तेल वाली सभी फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है इसका उपयोग करने से तिलहन फसलों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, वहीं दलहन फसलों में इसके उपयोग से प्रोटीन की मात्रा में बढ़ोतरी पाई गई है।

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स्रोत: Krishak Jagat