इफको देगा कम दरों पर उर्वरक

October 06 2021

 मध्यप्रदेश में रबी फसल  की बोनी शुरू होने की कगार पर है और किसान रासायनिक उर्वरक के लिए संघर्ष कर रहा है। ग्वालियर संभाग में रबी सीजन की बोनी पहले प्रारंभ होती है वहां खाद के लिए मारामारी मची हुई है। मजबूरन राज्य सरकार को उस क्षेत्र के लिए अपनी 75/25 प्रतिशत  की डीएपी वितरण नीति में बदलाव कर उसे 50 प्रतिशत सहकारी और 50 प्रतिशत निजी क्षेत्र के लिए करना पड़ा।

राज्य का कृषि विभाग डीएपी की शार्टेज को देखते हुए एनपीके को उसके विकल्प के रूप में अपनाने की सलाह किसानों को दे रहा है। लेकिन राज्य सरकार ने एनपीके की जो नई दरें निर्धारित की हैं वे डीएपी से अधिक हैं क्योंकि उर्वरक प्रदायक और निर्माता बढ़ी हुई दर पर उर्वरक प्रदाय कर रहे हैं। उर्वरक निर्माताओं की मजबूरी यह है कि अन्तराष्ट्रीय बाजार में फोस्फेटिक उर्वरकों और उसे बनाने में लगने वाले रॉ मटेरियल की कीमतें बहुत अधिक हैं, इस कारण उनकी लागत अधिक आ रही है।

प्रदेश के किसानों के लिए राहत देने वाली खबर यह है कि इफको मध्य प्रदेश में पुरानी दरों पर ही फोस्फेटिक उर्वरक प्रदाय करेगा। प्रदेश के उच्च पदाधिकारी ने बताया कि इफको ने पुरानी दरों पर एनपीके उर्वरक प्रदाय करने के लिए मार्कफेड को अपनी सहमती दे दी है। अन्य प्रदायकों से भी पुरानी दरों पर सहमती लेने के लिए मार्कफेड प्रयास कर रहा है। इस सम्बन्ध में एनपीके उर्वरक प्रदायकों और मार्कफेड के बीच बैठकों का दौर जारी है।

उर्वरक उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार एनपीके निर्माताओं के लिए कीमतें कम करना अत्यधिक कठिन है, लेकिन ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार एनबीएस प्रणाली के तहत उर्वरक अनुदान में वृद्धि कर सकती है। एनपीके की कीमतों घटाने के लिए राज्य सरकार यदि दबाव की रणनीति अपनाती है तो यह भी संभावना जताई जा रही है कि एनपीके निर्माता उर्वरक प्रदाय में अन्य राज्यों को प्राथमिकता दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्य में एनपीके की शार्टेज की संभावना भी बन सकती है।

उम्मीद है कि एनपीके की दरों पर एक दो दिन में अंतिम निर्णय हो जायेगा। यदि राज्य सरकार सभी एनपीके प्रदायकों तथा निर्माताओं से पुरानी दरों के लिए सहमती ले लेती है तो यह प्रदेश के किसानो के हित में होगा अन्यथा प्रधानमंत्री की मंशा 2022 तक किसानों की आय दुगना करने की राह में रोड़ा बन सकता है।

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स्रोत: Krishak Jagat