इंजीनियरिंग छोड़ कोर्डिसेप्स मशरूम में आजमाए हाथ, अब हो रही लाखों में कमाई

October 05 2021

कुछ कर गुजरने की चाह हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। खेती में भी प्रति माह लाखों रुपये कमाये जा सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कि देशभर में मशरूम सिटी के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश के सोलन निवासी निशांत गाजटा ने बीटेक डिग्रीधारी निशांत ने इंजीनियरिंग छोड़कर कृषि के व्यवसाय को अपनाया। उन्होंने इसके लिये कीड़ा जड़ी मशरूम यानी कोर्डिसेप्स मशरूम को अपना लक्ष्य बनाया आज वे इस मशरूम को तैयार करने लाखों रुपये कमा रहे हैं। इस मशरूम को महज एक छोटी सी लैब में तैयार किया जाता है। इसे आप सब्जी की तरह नहीं खा सकते हैं लेकिन ये मेडिसिन के रूप में यह काफी काम आती है।

सोलन निवासी युवा और आधुनिक किसान निशांत के मुताबिक उनके घर में नानाजी मशरूम उगाया करते थे। नानाजी को देखकर निशांत के मन में भी बचपन से ही मशरूम की उगाने की इच्छा प्रबल होती गई। वे बचपन से ही मशरूम उगाने का सपना देखने लगे। इंजीनियरिंग करने के बाद भी उनको अपना यह सपना रह-रहकर याद आता रहा। इस पर उन्होंने इंजीनियरिंग को छोड़कर मशरूम पर रिसर्च करना शुरू किया।

चंडीगढ़ में इसकी ट्रेनिंग मिलती है

वर्ष 2018 में पता चला कि कीड़ा जड़ी मशरूम यानी कोर्डिसेप्स मशरूम इंडिया में आ चुका है। इसे आप सीधे तो नहीं खा सकते है लेकिन यह बॉडी के लिये काफी उपयोगी है। निशांत ने इंटरनेट और अन्य स्त्रोतों से खोजबीज की तो पता चला कि चंडीगढ़ में इसकी ट्रेनिंग मिलती है। निशांत ने वहां ट्रेनिंग ली। फिर घर पर आकर लैब तैयार की। लेकिन उसके बाद लॉकडाउन आ गया है। लॉकडाउन के दौरान निशांत ने लैब में जमकर मेहनत की और कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस का सफल उत्पादन किया।

मेडिसन में इसकी काफी मांग है

निशांत के अनुसार कोर्डिसेप्स साइनेसिस हिमालय में पाई जाती है। इसकी कीमत ज्यादा है। लेकिन इसे ढूंढना काफी मुश्किल है। कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस को लैब में लगाया जा सकता है। वैसे कोर्डिसेप्स चार सौ तरह की होती है। इनमें से ज्यादातर चाइना में पाई जाती है। इंडिया में केवल दो तरह की ही कोर्डिसेप्स साइनेसिस और कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस मेडिसन में इसकी काफी मांग है। निशांत के मुताबिक यह इम्युनिटी बूस्टर है। इसे वेज और नॉनवेज दोनों मैथड से तैयार किया जा सकता है।

50 हजार से डेढ़ लाख रुपये किलो तक है रेट

सोलन में मशरूम बॉय के नाम से मशहूर निशांत के अनुसार वे सही प्रबंधन से कीड़ा जड़ी मशरूम उगाने में सफल हुये। माता-पिता ने इसमें उनकी काफी हेल्प की। इसे तैयार करने के तरीके बारे में निशांत ने बताया कि इसके लिये लैब में तापमान 21 डिग्री और आर्द्रता 75 रहनी चाहिये। यह ब्राउन राइस में तैयार की जाती है। 60 दिनों में यह कोर्डिसेप्स तैयार हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये किलो का भाव है। इंडिया में अभी इसका मार्केट कमजोर है। लेकिन यह जल्द ही मांग पकड़ेगा।

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स्रोत: News 18