औषधीय पौधों के साथ घर-घर तक पहुंचेगा अनुभवजन्य और तकनीकी ज्ञान

July 21 2021

डॉ. एसआर राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर, वैद्य बनवारीलाल गौड़ ने कहा है कि घर-घर औषधि योजना के तहत वितरित होने वाले औषधीय पौधों के साथ-साथ अनुभवजन्य और तकनीकी ज्ञान भी आमजन को मिल सकेगा। इनके उपयोग से ही स्वस्थ परिवार की संकल्पना  साकार हो सकेगी। यह बात उन्होंने राजस्थान संस्कृत अकादमी, वन विभाग और कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेदीय वनस्पतियां एवं स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर आयोजित विशेष वार्ता में कही।

वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने घर-घर औषधि योजना की रूपरेखा बताई । श्री गौड़ ने कहा कि प्रत्येक औषधीय पौधे के उपयोग के अनेक तरीके हैं। स्वरस, क्वाथ, कल्क और द्रव्य रूप में भी इनका अलग-अलग उपयोग है, इसलिए वैद्य की सलाह से ही इनका प्रयोग किया जाना उचित रहता है। उन्होंने तुलसी, अश्वगंधा और कालमेघ को वात, कफ और पित्त दोष में उपयोगी बताते हुए कहा कि गिलोय सभी औषधियों में अधिपति का स्थान इसलिये रखती है क्योंकि इसके उपयोग से कभी भी नुकसान नहीं होता है। गिलोय को विचित्र द्रव्य भी बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आसानी से उग जाती है, लेकिन स्वाद में कड़वी है। अमृता रूप में यह जानी-पहचानी जाती है, परंतु इसकी तासीर गर्म है। शरीर में बढ़ी हुई गर्मी हो या ज्वर, दोनों को शांत करने में गिलोय उपयोगी है।

इस अवसर पर डॉ. पाण्डेय ने कहा कि चारों प्रजातियों के चयन में वैज्ञानिक प्रमाण के अलावा हजारों वर्ष पुरानी सहिताएं और देश के लाखों वैद्यों का अनुभवजन्य ज्ञान होने की वजह से इनका औषधीय महत्व तो है ही, यह स्वास्थ्य संरक्षण में भी महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने औषधीय पौधों के रख-रखाव, उनके महत्व और उपयोग की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेशवासी अपने परिवार के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए भी औषधीय पौधों को उगाएं। औषधीय पौधों को संरक्षित करते हुए उन्हें अपने परिचितों में भी वितरित करें, तभी योजना और अधिक सार्थक सिद्ध हो सकेगी।

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स्रोत: Krishak Jagat