छत्तीसगढ़ के बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को सब्जियों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषि विवि ने एक पहल की है। इसके तहत समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों में उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य के समस्त जिलों के कृषकों को अच्छी गुणवत्ता के बीज कम कीमत पर उपलब्ध कराना है। वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 27 कृषि विज्ञान केंद्रों में कुल 27.43 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मुक्त परागित सब्जी वाली फसलों का बीज उत्पादन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर आगामी खरीफ और रबी मौसम तक लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।
मटर की (अर्केल किस्म), मेथी की (आरएमटी-305 किस्म), कसूरी मेथी की (के-1 किस्म), बैंगन की (पंत सम्राट एवं इंदिरा वाइट किस्म), मूली और टमाटर की (पूसा रूबी किस्म), धनिया की (पंत हरीतिमा किस्म), सेम की (इंदिरा सेम-1, इंदिरा सेम-2 किस्म), अजवाइन की (पीकेएम-3 किस्म), पालक (ऑल ग्रीन किस्म) और भिण्डी तथा लौकी के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी तरह से शकरकंद, कुदरू, खेक्सी, परवल जैसी अधिक उत्पादन वाली किस्मों के बीज भी शामिल हैं।
उत्पादन लागत में कमी आएगी
कृषक यदि मुक्त परागित उन्नात किस्मों वाली सब्जियों का उत्पादन करते हैं तो उन्हें बाजार से बीजों का क्रय नहीं करना पड़ेगा। वे स्वयं उच्च गुणवत्ता वाली सब्ज्यिों के बीजों का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे किसानों के लिए सब्जियों की उत्पादन लागत में कमी आएगी और अधिक मुनाफा होगा। मुक्त परागित सब्जी वाली फसलों का बीज उत्पादन करने लिए कृषकों को ज्यादा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।
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स्रोत: नई दुनिया