सभी किसानों को मिलेगा पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम का लाभ

April 09 2019

बीजेपी (BJP) ने अपने संकल्प पत्र में किसानों पर फोकस किया है. मोदी सरकार की किसानों से जुड़ी सबसे अहम योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (Pradhan mantri Kisan Samman Nidhi Scheme)  का लाभ सभी किसानों को देने का वादा किया गया है. 24 फरवरी को जब गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लॉंच किया था तो देश के 12 करोड़ किसान परिवारों को इसका लाभ पहुंचाने का प्लान था. लेकिन अब पार्टी ने कहा है कि अगर वो सत्ता में आई तो इसका विस्तार करते हुए सभी किसान परिवारों को लाभ दिया जाएगा. देश में करीब 14 करोड़ किसान परिवार हैं.

साल 2014 में सरकार बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों के मसलों को सबसे ऊपर रखा था. लेकिन अब खेती-किसानी से जुड़े सवालों पर ही विपक्ष सरकार को घेर रहा है. कांग्रेस ने किसानों के लिए अलग बजट लाने और कर्जमाफी की घोषणा का दांव चला है. ऐसे में बीजेपी ने भी अपने संकल्प पत्र में किसानों पर ही फोकस रखा है. 

पार्टी ने एक बार फिर किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है. मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए बाकायदा 13 अप्रैल 2016 को डबलिंग फार्मर्स इनकम कमेटी का गठन किया गया, जिसने बताया कि आखिर 2022 तक किसानों की आय दोगुना कैसे होगी. आय बढ़ाने के लिए सरकार की कोशिश जारी है. इस बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी पार्टी ने यही वादा दोहराया है.

पार्टी ने कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए 25 लाख करोड़ रुपये के निवेश और छोटे तथा खेतिहर किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन की योजना बनाने का वादा किया.  फिलहाल, फोकस तो किसान सम्मान निधि स्कीम पर है, जिसके माध्यम से किसानों को सालाना नगद 6000 रुपये दिए जाने हैं, जिसमें से अभी 2000 रुपये की पहली किस्त पहुंची है. पार्टी को उम्मीद है कि इस स्कीम के जरिए किसानों की आय भी बढ़ेगी.

कितनी है किसानों की आय?

“नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में (2012-13) में सर्वे किया था.  इसमें प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय 6426 रुपये का अनुमान लगाया गया था. जबकि खर्च 6223 रुपए था. बचते हैं सिर्फ 203 रुपये. ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने का दबाव है.

ये तो रही किसानों की आय की बात. संसद में रखी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक किसानों पर औसतन 47 हजार रुपये का कर्ज है. करीब 52 प्रतिशत कृषि परिवार ऋणग्रस्त हैं. इसलिए यह बड़ा सियासी मुद्दा भी है. केंद्र सरकार ने कर्जमाफी की कोई योजना लाने से साफ इनकार किया हुआ है. लेकिन कई राज्यों ने अपने बूते पर राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कर्जमाफी की है.  

अभी किसे मिलता है पीएम किसान स्कीम का लाभ?

लघु एवं सीमांत किसान परिवार: इसकी परिभाषा में ऐसे परिवारों को शामिल किया गया है, जिनमें पति-पत्नी और 18 वर्ष तक की उम्र के नाबालिग बच्चे हों और ये सभी सामूहिक रूप से दो हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक की जमीन पर खेती करते हों. यानी पति-पत्नी और बच्चों को एक इकाई माना जाएगा. जिन लोगों के नाम 1 फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाया जाएगा वही इसके हकदार होंगे.

लाभ के लिए कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. प्रशासन उसका वेरीफिकेशन करेगा. इसके लिए जरूरी कागजात होने चाहिए. जिसमें रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन मालिक का नाम, सामाजिक वर्गीकरण (अनुसूचित जाति/जनजाति), आधार नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर देना होगा.

यह योजना एक दिसंबर 2018 से लागू है, इसलिए 31 मार्च से पहले सभी लाभार्थी किसानों के खातों में 2000 रुपये की पहली किस्त आ जाएगी. योजना योजना के सीईओ विवेक अग्रवाल के मुताबिक दो करोड़ से अधिक किसानों के अकाउंट में पैसा भेजा जा चुका है. केंद्र सरकार का दावा है कि इससे 12 करोड़ किसानों को लाभ होगा. इस योजना पर सरकार 75 हज़ार करोड़ रुपए खर्च कर रही है. इसका लाभ उन किसानों  को मिलेगा जिनका नाम 2015-16 की कृषि जनगणना में आता है. सरकार ने पिछले साल इसे जारी किया था.

एमपी, एमएलए, मंत्री, मेयर को नहीं मिलता लाभ

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक, वर्तमान या पूर्व मंत्री, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. हमारे 15.85 फीसदी सांसद खुद को किसान बताते हैं. विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे किसान 6000 वाली सहायता के हकदार नहीं होंगे. योजना का लाभ लेने के लिए और भी कई कंडीशन अप्लाई की गई हैं.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक 2006-07 से 2014-15 तक 1 करोड़ से ज्यादा कृषि आय दिखाने वाले 2746 मामले आए हैं. बताया गया है कि इनमें से ज्यादातर नेता हैं, जो अपनी आय कृषि में दिखाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे किसानों में ज्यादातर मंत्री, सांसद, विधायक और नेता होते हैं, ऐसे लोग इसका फायदा नहीं ले पाएंगे. शर्तें लगाकर सरकार असली किसानों को ही लाभ देना चाहती है.

केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ / चतुर्थ श्रेणी / समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर) एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे इस लाभ का हकदार नहीं माना जाएगा. लास्ट वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले इस लाभ से वंचित होंगे.

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स्रोत: NEWS18