1 अरब से ज्यादा लोग भूखमरी से मरे, जिसमे से 80 फीसद है किसान

April 04 2019

आज हम भले ही चांद पर पहुंचने के बाद मंगल पर पहुंचने कोशिश कर रहे हो लेकिन इतनी तकनीकी होने बाद भी करोड़ो लोग भूखमरी का शिकार हो रहे है. संयुक्‍त राष्‍ट्र की जारी रिपोर्ट में भूखमरी को लेकर चौकाने वाले आकड़े सामने आए है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष यानी 2018 में 53 देशों में 11.3 करोड़ से अधिक लोग युद्ध, आर्थिक अशांति के आलावा जलवायु आपदाओं के काऱण दैनिक जीवन के आहार में काफी कमी आई जिसके चलते लोग भूखमरी का शिकार हुए. इन 53 देशों में सबसे ज़्यादा भूखमरी के शिकार अफ्रीका के लोग हुए है. 

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने मंगलवार को विश्‍व भर में भूख से मरने वाले लोगों के आकड़े जारी किए. इन आकड़ो देखकर एक सवाल उठता है की ग्लोबलाइजेशन के इस दुनिया में प्राथमिकता क्या हो. खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने एक रिपोर्ट जारी करके बताया सीरिया, इथोपिया, सुडान और उत्‍तरी नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अफगानिस्तान और यमन ये वो 8 देश है जहां भूखमरीसे मरने वालों लोगों कुल संख्या का एक तिहाई है. इतनी बड़ी तदात में भूखमरी होने का कारण आर्थिक उथल-पुथल और जलवायु आपदा, सूखा एवं बाढ़ के साथ असुरक्षा  भी है.

दरअसल तीन साल पहले भूखमरी से जूझ रहे देशो के संकट का अध्ययन किया जा रहा है. अभी हाल में ही संयुक्‍त राष्‍ट्र और यूरोपियन यूनियन के द्वारा तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में खास तौर से शरणार्थियों को शरण देने वाले देशों, युद्ध प्रभावित सीरिया के पड़ोसी देशों पर पड़ने वाले दबाव को दिखया गया है. जिसमे युद्ध प्रभावित बांग्लादेश और म्यामांर के लाखों रोहिंग्या शरणार्थी को शामिल किया गया.

एफएओ ने के रिपोर्ट के मुताबिक वेनेजुएला में राजनीतिक और आर्थिक संकट बना रहता है जिससे विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस साल वेनेजुएला खाद्य आपात की घोषणा कर सकता है. खाद्य संकट की सबसे अधिक मार अफ्रीकी देशों पर पड़ी है, जहां 7.2 करोड़ लोग खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट एक और बड़ी बताई गई है कि भूखमरी के कगार पर खड़े देशों में 80 फीसद लोग कृषि पर निर्भर है.

रिपोर्ट में सीधे तौर पर कहा गया कि बच्‍चों को उचित भोजन नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते ये बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है, ये संख्या तेजी से बढ़ रही है. भूखमरी की वजह से महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी सीधा असर पड़ रहा है. क्या हमें करोड़ों रुपये के परमाणु बम बनाने से पहले इस मुद्दे पर सोचना नहीं चाहिए?

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स्रोत: Krishi Jagran