सफल रहा टिड्डी के नियंत्रण में वाहन पर लगे यूएलवी स्प्रेयर का परीक्षण

June 30 2020

आयातित उपकरणों की सीमाओं से पार पाने के लिए कृषि, सहकारिता एवं कृषक कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए वाहन पर लगे यूएलवी स्प्रेयर के देश में विकास की चुनौती को स्वीकार किया है। इस पहल के तहत डीएसीएंडएफडब्ल्यू की यंतत्रीकरण एवं प्रौद्योगिकी विभाग को एक भारतीय विनिर्माता के माध्यम से नमूना (प्रोटोटाइप) हासिल हुआ है। राजस्थान के अजमेर और बीकानेर जिले में इस स्प्रेयर के परीक्षण सफल रहे हैं। व्यावसायिक रूप से इसकी पेशकश के लिए अन्य स्वीकृतियों पर काम जारी है। यह एक बड़ी सफलता है, क्योंकि इससे टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए बेहद अहम उपकरण के लिए आयात पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

वर्तमान में इस स्प्रेयर युक्त वाहन की एक मात्र आपूर्तिकर्ता एम/एस माइक्रोन स्प्रेयर्स, यूके है। फरवरी, 2020 में इस कंपनी को 60 स्प्रेयर की आपूर्ति के लिए ऑर्डर जारी किया गया था। विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इन उपकरणों की आपूर्ति बढ़ाने के काम में लगी हुई हैं। यूके में भारतीय उच्चायोग भी नियमित रूप से कंपनी से संपर्क में बना हुआ है और स्प्रेयर की शीघ्र आपूर्ति की निगरानी की जा रही है। अभी तक 15 स्प्रेयर हासिल हो चुके हैं। बाकी 45 स्प्रेयर की आपूर्ति एक महीने के भीतर पूरी हो जाएगी।

एक समीक्षा के दौरान, केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने निर्देश दिए कि टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन के उपयोग की संभावनाओं को खंगाला जाना चाहिए। नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) द्वारा जारी वर्तमान नीतिगत दिशानिर्देश कीटनाशकों के भार के साथ ड्रोन के उपयोग की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए डीएसीएंडएफडब्ल्यू ने एमओसीए से इस संबंध में अनुमति देने का अनुरोध किया था और नागर विमानन मंत्रालय ने  टिड्डी नियंत्रण को ड्रोन परिचालन के लिए पौध संरक्षण निदेशालय, संगरोध एवं भंडारण, फरीदाबाद (डीपीपीक्यूएंडएस) जैसी सरकारी इकाई सशर्त छूट की स्वीकृति दे दी थी। केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड ने भी टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन, विमान और हेलिकॉप्टरों के द्वारा कीटनाशकों के हवाई छिड़काव की मानक संचालन प्रक्रिया को स्वीकृति दे दी थी।

इसके बाद अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिश पर पांच कंपनियों (प्रति कंपनी 5 ड्रोन) को ड्रोन देने के लिए वर्क ऑर्डर जारी किए गए हैं। सभी पांच सेवा प्रदाता कंपनियों ने राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और फलोदी (जोधपुर) जिले में काम करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में चरणबद्ध तरीके से 12 ड्रोन तैनात किए जा चुके हैं। दुर्गम क्षेत्रों और ऊंचे पेड़ों पर प्रभावी नियंत्रण में ड्रोन के उपयोग का अनुभव खासा संतोषजनक रहा है। ड्रोन की तैनाती से रेगिस्तानी टिड्डी पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने में टिड्डी सर्किल कार्यालयों की क्षमताओं में एक अन्य आयाम जुड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने दुनिया का ऐसा पहला देश बनने पर भारत की सराहना की है, जो ड्रोन के माध्यम से रेगिस्तानी टिड्डी पर नियंत्रण कर रहा है।

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स्रोत: Krishak Jagat