दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा के लिए खतरा बना पराली जैव ईंधन व सीएनजी का विकल्प हो सकता है। वहीं, इससे फाइल फोल्डर, पेपर प्लेट तक बनाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ दो दिन की बैठक में विशेषज्ञों की राय थी कि पराली के निपटारे का व्यावहारिक समाधान मौजूद है। इससे न सिर्फ हवा साफ होगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी।
खुले में पराली जलाने से खेतों की उर्वरता भी खत्म होती है। समस्या की पहचान वर्षों पहले होने के बाद भी इसका कोई कारगर समाधान नहीं ढूंढा जा सका है। कृषि विशेषज्ञों का कहना था कि बगैर उचित समाधान दिए पराली जलाने के मामले नहीं रुक सकते।
दूसरी तरफ कच्चे माल के तौर पर पराली का इस्तेमाल करके कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बनाने वाले उद्यमियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि बड़े पैमाने पर सीएनजी बनाने का व्यावहारिक मॉडल मौजूद हैं। इसमें पूरे साल पराली की मांग बनी रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके साथ ही पराली या कृषि अपशिष्टों को जैव ईंधन में बदला जा सकता है। अपने उच्च कैलोरी और स्थायित्व के साथ यह एक प्रभावी आर्थिक मॉडल हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय थी कि एक अन्य विकल्प फाइल फोल्डर से पेपर प्लेट तक के विभिन्न घरेलू और स्टेशनरी आइटम बन सकते हैं। ऐसे सभी उत्पादों का एक मौजूदा बाजार है। साथ ही यह बायोडिग्रेडेबल भी होते हैं। अगर दोनों तरीकों पर काम होता है तो किसानों की आय बढ़ने के साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
विशेषज्ञों के साथ बैठकों से पता चला है कि पराली को सीएनजी में बदलना तकनीकी और व्यावसायिक रूप से संभव है। यह किसानों को रोजगार, अतिरिक्त आय प्रदान करेगा और प्रदूषण की हमारी वार्षिक समस्या का समाधान करेगा। हालांकि, इसके लिए सभी सरकारों को एक साथ आने और इस पर काम करने की आवश्यकता है।
-अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली
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स्रोत: अमर उजाला