अब रोबोट भी खेती किसानी और गार्डनिंग में आपकी मदद करेगा। रोबोट खेत या गार्डन में मॉइश्चर की कमी को डिटेक्ट कर यह बता देगा कि मिट्टी में कितना मॉइश्चर है और मिट्टी को पानी की जरूरत है या (Soil Moisture Detector Robot made by Class Eight children in Raipur) नहीं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आठवीं कक्षा के बच्चों ने यह सॉइल मॉइश्चर डिटेक्टर रोबोट बनाया है। आइये जानते हैं इस रोबोट की क्या खासियत है और कैसे इस रोबोट को बनाया गया है।
रायपुर: दुनिया तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ती चली जा रही है। आईओटी के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट ही नहीं बल्कि आजकल स्कूलों में भी साइंटिस्ट तैयार हो रहे हैं. बच्चों का रुझान आईओटी, मशीन लर्निंग और कोडिंग के क्षेत्र में बढ़ रहा है। रायपुर के एक निजी स्कूल के आठवीं क्लास के बच्चों ने भी सॉइल मॉइश्चर डिटेक्टर रोबोट बनाया है. अभी सिर्फ इस रोबोट का एक मॉडल बनाया गया है। यह रोबोट खेत या गार्डन में मॉइश्चर की कमी को डिटेक्ट कर यह बता देगा कि मिट्टी में कितना मॉइश्चर है और मिट्टी को पानी की जरूरत है या (Soil Moisture Detector Robot made by Class Eight children in Raipur) नहीं।
रोबोट करेगा खेती और गार्डनिंग में मदद
इस विषय में ईटीवी भारत ने बच्चों की टीम और बच्चों के मेंटोर से बातचीत की। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...
क्या है सॉइल मॉइश्चर डिटेक्टर रोबोट: स्टूडेंट सन्नय भट्टाचार्य कहते हैं कि " हमारे मेंटोर प्रांजल शर्मा और अमित ठाकुर की निगरानी में मैंने और मेरे पार्टनर मयंक त्रिपाठी ने सॉइल मॉइश्चर डिटेक्टर रोबोट बनाया है। किसान और खेतों में पानी की जरूरतों को देखते हुए हमने इस तरीके का रोबोट डिजाइन तैयार किया है। आने वाले दिनों में इस मॉडल को हम ग्रास रूट लेवल पर बनाकर ग्राउंड पर टेस्ट करेंगे। एक मॉडल बनाना और उसको रियलिस्टिक वे में परिवर्तित करने में काफी अंतर होता है. इसमें कई तरह के चैलेंज होते हैं। वहीं, फाइनेंशियल खर्च भी काफी ज्यादा होता है. आने वाले दिनों में हमारी कोशिश रहेगी कि इस मॉडल को हम रियलिस्टिक रूप दे पाएं।
इस मॉडल को बनाने की क्या थी सोच: मेंटोर अमित ठाकुर कहते हैं, " बॉयोडायवर्सिटी एंड नेचुरल हैबिटेट की थीम पर बच्चों ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है। बच्चों ने 45 दिन में इस प्रोजेक्ट को बनाकर तैयार किया है। दरअसल, सीबीएससी और माइक्रोसॉफ्ट की ओर से नेशनल कोडिंग चैलेंज रखा गया था, जिसमें हमारे यहां के बच्चों ने यह मॉडल तैयार किया है. कंपटीशन में छत्तीसगढ़ में यह मॉडल टॉप पर रहा। वहीं, नेशनल कंपटीशन में टॉप 3 में इस मॉडल ने जगह बनाई. फिलहाल अभी एक छोटा एक मॉडल है। हम कोशिश कर रहे हैं कि इसको रियलिस्टिक वे में कन्वर्ट कर सकें. ताकि किसानों को इसका फायदा मिले।
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फील्ड में यह मॉडल कितना सक्सेस: मेंटोर प्रांजल शर्मा ने बताया, " किसानों के लिए इस तरीके का इक्विपमेंट काफी फायदेमंद रहने वाला है. देश में बहुत से राज्य हैं। सबकी क्लाइमेटिक कंडीशन अलग-अलग होती है. कुछ सब्जियों की खेती में पानी की मात्रा ज्यादा लगती है। वहीं, कुछ किस्मों में कम पानी की जरूरत होती है. यह रोबोट सेंसर के माध्यम से यह बता देगा कि मिट्टी में कितना मॉइश्चर है। अगर मिट्टी में मॉइश्चर काम होगा तो ऑटोमेटिक सेंसर मिट्टी में पानी छोड़ देगा। मिट्टी में पर्याप्त नमी के बाद अपने आप पानी आना बंद भी हो जाएगा।
कैसे काम करता है यह मॉडल: छोटे से कार में हमने एक मैकेनिकल चिप लगाया है। यह कोडिंग के माध्यम से कार को कंट्रोल करता है। कार में सोलर प्लेट और बिजली दोनों से चलने की क्षमता है। कार के डिजाइन में तैयार मॉडल सेंसर की मदद से मिट्टी की नमी को नापता है। मिट्टी में नमी सेंस करने के बाद अगर मिट्टी को और पानी की जरूरत होती है तो ऑटोमेटिक सेंसर खेत में पानी की कमी को पूरा करता है। मिट्टी में पर्याप्त नमी होने के बाद सेंसर मिट्टी की नमी को सेंस कर पानी की सप्लाई रोक देता है। सेंसर की सहायता से खेतों में वेस्ट होने वाले पानी को भी बचाया जा सकता है।
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स्रोत: dailyhunt