योगी सरकार का बड़ा फैसला, 46 तरह की फल और सब्जियां मंडी शुल्क के दायरे से बाहर, अब कहीं से भी खरीदें माल

May 12 2020

योगी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कारोबारी सुगमता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बुधवार को बड़ा फैसला किया। प्रदेश में 46 फलों व सब्जियों को मंडी अधिनियम की अधिसूचना से बाहर कर दिया है। यानी, अब इन पर किसी तरह का कोई भी मंडी शुल्क नहीं लगेगा। 

बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम में संशोधन के प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई। इन्हें अध्यादेश के माध्यम से लागू किया जाएगा।  इन संशोधनों के लागू होने पर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार करने वालों में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य हो गया है।  

इससे किसानों की आय दोगुनी करने, कृषि उपज की बिक्री को सुलभ बनाने और कारोबारी सुगमता के उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके तहत प्रदेश में आम, केला, लौकी, कद्दू, तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा, संतरा समेत 46 फलों और सब्जियों के व्यापार करने पर कोई मंडी शुल्क नहीं लगेगा। 

व्यापारियों और प्रसंस्करण इकाइयों को किसान ये उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। वे सीधे उपभोक्ताओं को भी इनकी बिक्री कर सकेंगे। इतना ही नहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश में कहीं भी बिक्री कर उचित मूल्य ले सकेंगे।  

सरकार के इस फैसले से मंडी परिषद को सालाना 124.58 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। अधिसूचना से बाहर हुए फल-सब्जियों के व्यापार की सुविधा मंडी परिसर में पूर्व की तरह संचालित की जाएगी। 

अगर कोई कारोबारी इसके लिए मंडी परिसर का इस्तेमाल करना चाहता है, तो उन्हें मंडी शुल्क के स्थान पर सेवा शुल्क या यूजर चार्ज ही देना होगा। वो भी तब, जब वे मंडी परिसर में इन उत्पादों का क्रय-विक्रय करेंगे। 

इन संशोधनों के बाद प्रदेश में 53 तरह के फल व सब्जियों में सिर्फ आलू, प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन, मिर्च और नींबू के कारोबार पर ही मंडी शुल्क देना होगा। 

अब कहीं से भी खरीदें माल

मंडी अधिनियम की धारा 7 (2)(ख) में संशोधन कर विशिष्ट प्रकार के लाइसेंसी व्यापारियों व विपणन स्थलों को मंडी परिषद के बाहर भी किसानों से उत्पाद खरीदने और बाहर भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। 

धारा (7) (क) में वेयरहाउस, साइलो और शीतगृह जैसे स्थानों को मंडी उप स्थल घोषित करने की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के कदम उठाए गए हैं। अधिनियम की धारा 9 (क) के अधीन एकीकृत लाइसेंस में क्रय स्थलों की विवरण की पूर्व अनुमति के स्थान पर क्रय स्थानों के बारे में मात्र सूचनाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। 

मतलब, अब व्यापारी कहीं से भी माल खरीद सकता है। उसे मंडी परिषद से अनुमति लेने के बजाय उस स्थान के बारे में सिर्फ सूचित करना होगा। कृषक-उपभोक्ता बाजार व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्र में व मंडी परिषद की ओर से कृषक उपभोक्ता बाजार विकसित करने की व्यवस्था भी की गई है। इसकी अनुमति शासन द्वारा अधिकृत प्राधिकारी देगा।


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स्रोत: अमर उजाला