हरी खाद, जैविक कृषि की दिशा में कदम बढ़ा रहे किसानों के लिए रासायनिक खाद का विकल्प बन रही है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व की मिट्टी में उर्वरक क्षमता बढ़ा रहे हैं, जिससे सन और ढेंचा से तैयार होने वाली हरी खाद फसलों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। रासायनिक खाद का विकल्प अपनाने के लिए किसान अब फसलों के साथ हरी खाद का रकबा भी बढ़ा रहे हैं।
जैविक कृषि कर रहे ताराचंद बेलजी बतातें है कि किसान इससे जहां रासायनिक खाद का विकल्प पैदा कर रहे हैं, वहीं बीज तैयार कर इसे मुनाफे का विकल्प भी बना रहे हैं। जिले में पांच साल में हरी खाद बनाने किसानों के आगे आने से इसका रकबा तेजी से बढ़ रहा है। बालाघाट में 40 किसानों 200 एकड़ में हरी खाद बनाने सन का बीज बोकर इसका रकबा बढ़ाया है, इससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ रही है और जैविक कृषि भी। जिले में इस साल 40 किसानों ने उनसे प्रभावित होकर इसका बीज बोया है। इसकी खाद और बीज भी लाभ दे रहे हैं।
ऐसे जानें सन की खेती
हरी खाद बनाने के लिए फसल लगाने से एक, सवा माह पूर्व सन का बीज बोया जाता है। इसका पौधा तेजी से बढ़ता है,जो करीब तीन फीट तक हो जाता है। फसल लगाने से पूर्व इसे रोटरवेटर से खेत में मचा दिया जाता है। खेत में पानी भरकर इसे मिट्टी में दबा दिया जाता है। करीब तीन से चार दिन में इसके कीचड़ में फसल लगाई जा सकती है।
इन खादों की नहीं पड़ती जरूरत
न से बनी खाद से खेत में डीएपी,यूरिया,पोटाश और गोबर खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। यह इन सभी खादों का विकल्प है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ.उत्तम बिसेन के अनुसार
एक एकड़ में हरी खाद की क्षमता
- एक एकड़ में तैयार सन की खाद पांच ट्राली गोबर के बराबर।
- 130 किलो सन की खाद डेढ़ क्विटल यूरिया के समान।
- डेढ़ क्विटल सिंगल सुपर फॉस्फेट के बराबर।
- 30 किलो पोटाश के बराबर।
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Source: naidunia