मछलीपालन को दर्जा दिया गया है कृषि का

August 02 2021

छग मछुआ कल्याण बार्ड के मनोनित पदाधिकारियों को रायपुर में शपथ दिलाई गई। वर्चुअल शपथ ग्रहण समारोह का संबोधिक करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मछलीपालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। अब मछलीपालन के लिए भी कृषि जैसे ही सस्ती बिजली और बिना ब्याज के ऋण की सुविधा मिलेगी। इससे मछलीपालन करने वालों को लाभ होगा और जो अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण मछलीपालन नहीं कर पाते थे, वे भी मछलीपालन कर आय का साधन जुटा सकेंगे और आगे बढ़ेंगे। अधिक से अधिक संख्या में मछुआ समुदाय के लोग भी इन प्रावधानों का लाभ उठाने के लिए आगे आएं।

जिला मीडिया प्रभारी चैनकुमार सोनवानी निषाद ने बताया कि कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र ढीमर, सदस्य दिनेश फूटान, देव कुंवर निषाद, आरएन. आदित्य, प्रभु मल्लाह, विजय ढीमर और अमृता निषाद ने पदभार ग्रहण किया। इस दौरान बोर्ड के अध्यक्ष एमआर निषाद, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी और पूर्व विधायक दिलीप लहरिया भी उपस्थित थे।

सीएम बघेल ने बोर्ड के नवनियुक्त उपाध्यक्ष और सदस्यों शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश में उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक हर जिले में जहां नदी, तालाब, नाले हैं, वहां मछुआ समुदाय के लोग हैं। आदिकाल से ही मछुआ समुदाय के लोग मछलीपालन और बाड़ियों में सब्जी पैदा कर भरण-पोषण करते आए हैं। मछलीपालन के लिए तालाब और बांध समिति बनाकर दिए जाते हैं। कई बार मछुआ समुदाय के लोगों से जानकारी मिलती है कि मछलीपालन का काम उनके समाज के लोगों को नहीं मिल पाया है। या कई बार जब काम मिल भी जाता है तो समुदाय के लोग अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण मछलीपालन नहीं कर पाते हैं और मजबूरन उन्हें बड़े व्यापारियों की शरण में जाना पड़ता है। मछुआ समुदाय के लोगों को ऐसे में मात्र मजदूरी ही मिल पाती है। अब मछलीपालन के लिए कृषि के जैसे सहायता मिलने से मछुआ समाज के लोग भी मछलीपालन का काम आसानी से कर सकेंगे और उन्हें भी इस व्यवसाय का भरपूर लाभ मिल सकेगा।

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स्रोत: Nai Dunia