भारत सरकार ने रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती के लिए NMNF मिशन किया तैयार

February 24 2023

केंद्रीय बजट 2022-23 में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती की घोषणा के बाद सरकार ने देश भर में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) को बढ़ाकर प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (NMNF) तैयार किया है। कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (MANAGE) और राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र (NCONF) के माध्यम से मास्टर ट्रेनर्स चैंपियन किसानों का बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण दे रहा है, और प्राकृतिक खेती की तकनीकों पर किसानों को अभ्यास करा रहा है। इसने ग्राम-प्रधान जैसे जनप्रतिनिधि को भी प्राकृतिक खेती की तकनीक और लाभों के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है।22 क्षेत्रीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार की गई है और प्राकृतिक खेती पर 697 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं और मैनेज के माध्यम से 56हजार 952 ग्राम प्रधानों के लिए प्राकृतिक खेती पर 997 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं।आईसीएआर ने प्राकृतिक कृषि तकनीकों को मान्य करने के लिए 20 स्थानों पर अनुसंधान शुरू किया।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने प्राकृतिक खेती के लाभों को प्रदर्शित करने के लिए 425 केवीके में प्रदर्शन के अलावा प्राकृतिक कृषि तकनीकों को मान्य करने के लिए 20 स्थानों पर अनुसंधान शुरू किया है।कार्यान्वयन ढांचे, संसाधनों, कार्यान्वयन प्रगति, किसान पंजीकरण, ब्लॉग, आदि के बारे में जानकारी प्रदर्शित करने के लिए और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक डिजिटल वेब पोर्टल (naturalfarming.dac.gov.in) लॉन्च किया गया है।सरकार 2019-2020 से परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) नामक एक उप-योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बीपीकेपी के तहत लाया गया है।बीपीकेपी के तहत 500 हेक्टेयर के क्लस्टर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और रु. 12,200 प्रति हेक्टेयर तीन वर्ष तक प्रदान किया जाता है, जिसमें रू. 2 हजार रुपये डीबीटी के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन के रूप में प्रदान किया जाता है।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: कृषक जगत