बैंकों के पास नकदी की कमी नहीं.. एनपीए पर भी राहत, मानसून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

April 20 2020

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना संकट से निपटने और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बैंकों के पास पर्याप्त नकदी है। सिस्टम में पूंजी तरलता बढ़ाने के लिए अभी तक जीडीपी के 3.2 फीसदी के बराबर नकदी डाली जा चुकी है। इससे बैंक उद्योगों को पर्याप्त कर्ज मुहैया करा सकेंगे जिससे औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार पर आने वाला संकट कम होगा।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से पिछले 45 दिनों के भीतर सिस्टम में 1.2 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाली जा चुकी है। देश के हर नागरिक तक वित्तीय सेवा को पहुंचाने में बैंक कर्मी पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं।

बैंकों में नकदी समस्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि 1 मार्च से 14 अप्रैल के बीच करीब सवा लाख करोड़ रुपये आरबीआई ने दिए हैं। देशभर के 91 फीसदी एटीएम सुचारू हैं और 86 हजार करोड़ की अतिरिक्त मांग बढ़ने के बावजूद नकदी की कमी पेश नहीं आई है। उन्होंने कहा कि हमारे पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है, जो 10 अप्रैल को बीते सप्ताह में 2 अरब डॉलर बढ़कर 476.5 अरब डॉलर पहुंच गया है।

बैंकों को लाभांश से छूट

आरबीआई ने सभी सरकारी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों को लाभांश के भुगतान से छूट दे दी है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय दबाव के हालात में सभी बैंकों को आगे किसी भी अन्य लाभांश भुगतान से छूट दी जाती है। सितंबर तिमाही में समीक्षा के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।

सरकार ने 2018 में कहा था कि सभी सार्वजनिक कंपनियों को अपने शुद्ध लाभ का 20 फीसदी लाभांश के रूप में सरकार को देना होगा। इससे छूट दिए जाने से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये की चपत लगेगी।

रियल एस्टेट को राहत...

आरबीआई ने एनबीएफसी के लिए वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की तारीख (डीसीसीओ) एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि एनबीएफसी की ओर से रियल एस्टेट को दिए गए कर्ज के पुनर्भुगतान में राहत मिलेगी। इसका लाभ उन प्रोजेक्ट को मिल सकेगा जो कर्ज मिलने के बावजूद वास्तविक कारणों से तय अवधि से पीछे चल रहे हैं। गवर्नर ने कहा कि यह ढील बिना कर्ज को पुनर्गठित किए दी जा रही है। इससे एनबीएफसी और डेवलपर्स दोनों को फायदा मिलेगा।

एनपीए पर अब 6 महीने की छूट

रिजर्व बैंक ने गैर निस्पादित आस्तियों (एनपीए) के खुलासा नियमों में बैंकों को बड़ी राहत दी है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि किसी भी कर्ज का भुगतान नहीं किए जाने पर उसे एनपीए घोषित करने की अवधि मौजूदा 90 दिन से बढ़ाकर अब 180 दिन की जा रही है।

इससे बैंकों को किसी कर्ज की वसूली के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा और छह महीने बाद ही उसे बैड लोन घोषित किया जाएगा। इसके अलावा कर्जधारकों को को किस्त भुगतान में दी गई 90 दिन की रियायत के दौरान किसी कर्ज को एनपीए प्रणाली में नहीं लाया जाएगा। यानी इस दौरान कर्ज भुगतान में चूक होने पर एनपीए के प्रावधान लागू नहीं होंगे।

चुनौतियां बरकरार...उद्योगों पर गंभीर असर

दास ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन के मौजूदा सूचकांक महामारी और लॉकडाउन के पहले के हैं। लिहाजा इन आंकड़ों में जो दिख रहा है, असलियत में औद्योगिक हालात उससे कहीं ज्यादा खराब हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है और दुनिया के व्यापार में 30 फीसदी कमी आई है।

इससे 90 खरब डॉलर के नुकसान की आशंका है। उन्होंने कहा कि मार्च में हमारा निर्यात 34.6 फीसदी घट गया है, जो 2008-09 के वित्तीय संकट से भी ज्यादा गहरा है। इस दौरान बिजली खपत में भी 30 फीसदी गिरावट आई और वाहनों की बिक्री पर गंभीर असर पड़ा है।

ग्रामीण खपत बढे़गी...विकास दर में आएगी तेजी

रिजर्व बैंक ने कहा कि देश का खाद्यान्न भंडार मजबूत है और मौसम विभाग ने 2020-21 में बेहतर मानसून की उम्मीद जताई है। इससे फसलों की पैदावार अच्छी होगी और ग्रामीण खपत में इजाफे से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। गवर्नर ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल तक धान बुआई 37 फीसदी ज्यादा है।

क्रूड की कीमतों में भी नरमी बनी हुई है, जो विकास दर सुधारने में मददगार होगा। उन्होंने आईएमएफ का हवाला देते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 1.9 फीसदी रह सकती है, जो कुछ चुंनिंदा देशों में शामिल होगा। वहीं, 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी की तेज वृद्धि कर सकती है।

महंगाई इस साल 4 फीसदी से कम रहेगी

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2020 में महंगाई दर 4 के तय लक्ष्य के भीतर आ सकती है। दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी से नीचे रहेगी। गवर्नर ने कहा, आने वाले समय में आपूर्ति घटने के बावजूद महंगाई 4 फीसदी या उससे नीचे जा सकती है।

महंगाई में नरमी से हमारे लिए कोरोना संकट के बाद उपजे हालातों से निपटने के लिए नीतिगत गुंजाइश बनी रहेगी। यानी जरूरत होने पर कर्ज को और सस्ता किया जा सकता है। गौरतलब है कि मार्च में खुदरा महंगाई 5.91 फीसदी के साथ चार महीने के निचले स्तर पर आ गई थी।


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स्रोत: अमर उजाला