सेब ढुलाई पर बागवानों से दोगुना लिया जा रहा भाड़ा, वसूल रहे 400 रुपये क्विंटल

August 28 2021

सेब ढुलाई के लिए सरकार के संरक्षण में तय होने वाले वाहनों के किराये में भी बागवानों को खूब लूटा जा रहा है। सेब ढुलाई के लिए बागवानों से दोगुनी वसूली की जा रही है। देश भर में किसी उत्पाद को मंडियों तक या कारखानों तक पहुंचाने के लिए भाड़ा प्रति क्विंटल के हिसाब से तय होता है, लेकिन बगीचे से सेब को मंडियों तक पहुंचाने के लिए किराया पेटियों के हिसाब से वसूला जाता है।  रोहड़ू से चंडीगढ़ के लिए पिकअप में एक पेटी सेब का किराया औसतन सौ रुपये निर्धारित है। ट्रक में प्रति पेटी सेब का किराया 70 रुपये लिया जा रहा है।

25 किलो पेटी के हिसाब से पिकअप में करीब 400 रुपये प्रति पेटी का किराया बागवान दे रहे हैं। ट्रक में तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किराया देना पड़ता है। वापसी में पूरे साल चंडीगढ़ से रोहडू के लिए ट्रक का भाड़ा ट्रांसपोर्टरों ने करीब 145 रुपये क्विंटल और पिकअप दो सौ रुपये क्विंटल तय किया है। एक और खास बात यह है कि चंडीगढ़, सोलन, परवाणू  की मंडियों से चेन्नई, मुंबई के लिए सोलन, परवाणू, चंडीगढ़ की मंडियों से सेब के खरीदार प्रति क्विंटल ही भाड़े का भुगतान करते हैं। 

ऐसे में सवाल उठता कि बागवानों के बगीचे से सेब मंडी तक पहुंचाने के लिए भाड़े के मापदंड अलग क्यों हैं। भाड़ा हर साल जिला उपायुक्त और सरकार तय करते हैं। बागवान कई बार इस मामले को उठा चुके हैं, लेकिन ट्रांसपोर्टरों  के सामने बागवानों की आवाज हमेशा दबती रही है।  हिमाचल प्रदेश फल फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान कहते हैं कि बागवानों के साथ हर मामले में लूट होती है। सेब के भाड़े में हर साल बागवानों के करोड़ों रुपये बरबाद होते हैं।

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स्रोत: Amar Ujala