सेब के साथ किवी से भी मालामाल हो रहे हिमाचल के बागवान

March 03 2022

हिमाचल में सेब के बाद अब किवी उत्पादन बागवानों की पसंद बन रहा है। बागवानों को सेब की पैदावार में अपेक्षाकृत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। किवी उत्पादन में बंदरों, जंगली जानवरों और पक्षियों से नुकसान का खतरा कम रहता है। दूसरे फल पूरी तरह से पक जाएं तो इनको अच्छे दाम नहीं मिलते। जबकि किवी ऐसा फल है, जो पूरा पकने के बाद बाजार में बागवानों को अच्छे दाम दिलाता है।

किवी को बागवानों में लोकप्रिय बनाने के  लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद शिमला केंद्र के वैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस बार भी परिषद के ढांडा फार्म में बागवानों को किवी सहित अन्य फलों के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। बागवान किवी के उत्पादन में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं और पौधे भी खरीद रहे हैं। राज्य में अभी दो सौ हेक्टेयर भूमि में किवी का उत्पादन हो रहा है। शिमला जिले के किवी उत्पादक  भूपेंद्र ठाकुर और महेश कुमार ने कहा कि किवी को बंदर और पक्षी खाना पसंद नहीं करते और इसके उत्पादन में ज्यादा मेहनत भी नहीं है।

कब कौन सी किस्म लगाएं

हिमाचल में किवी की हेवर्ड, एबॉट, एलीसन, मोंटी, टुमयूरी, ब्रुनो किस्में उगाई जा रही हैं। प्रदेश में सितंबर मध्य से मध्य नवंबर तक किवी का तुड़ान होता है। नए पौधे लगाने के  लिए फरवरी का समय सही रहता है। पौधा पांच साल में फल देता है।

प्रदेश के शिमला, सिरमौर, कुल्लू, सोलन और मंडी जिले के मध्य पहाड़ी क्षेत्र किवी की खेती के लिए उपयुक्त हैं। हिमाचली किवी का मूल्य सौ रुपये से 375 रुपये प्रतिकिलो रहता है। डॉ. एसपी भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल में किवी उत्पादन बागवानों की पसंद बन रही है। इसे सेब के साथ वैकल्पिक फसल के रूप में उगाने लगे हैं। किवी को बाजार में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Amar Ujala