सेब के पोमेस से तैयार किए जाएंगे केक-ब्रेड, उद्योगों को हो सकेगी अतिरिक्त आय

January 14 2022

सेब से जूस निकालने के बाद बचे हुए अवशेष (पोमेस) से अब ब्रेड, केक सहित विभिन्न खाद्य वस्तुओं को बनाया जा सकेगा। इसमें फ्लेवोनोइडस, फाइबर, पेक्टिन, चीनी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व शामिल होते हैं। नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय ने सेब के पोमेस से विभिन्न पोषक खाद्य वस्तुओं को तैयार करने में सफलता हासिल की है।

जूस उद्योग से सेब पोमेस को मूल्य वर्धित उत्पादों में बदला जा सकेगा और कुटीर, लघु, मध्यम स्तर के उद्योगों को अतिरिक्त आय प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर और उत्तराखंड में जूस प्रसंस्करण उद्योग एक प्रमुख खाद्य उद्योगों में से एक है। हर साल हजारों टन सेब का जूस निकाला जाता है। रस निकालने के बाद बचे हुए अवशेष को व्यर्थ होने दिया जा रहा है।

आमतौर पर इसे कारखाने के आस-पास डंप किया जाता है जो पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार होता है। अकेले हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब का प्रसंस्करण किया जाता है। नौणी विवि के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केडी शर्मा ने बताया कि अतीत में एपल पोमेस से इथेनॉल, सिरका, पशु चारा, ईंधन सामग्री और खाद के लिए उपयोग करने के लिए सीमित प्रयास किए गए हैं। अभी तक वाणिज्यिक उद्योग स्थापित नहीं किया है।

युवाओं के लिए खुलेंगे उद्यमिता के द्वार: कौशल

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने बताया कि पोमेस का मूल्यवर्धन निश्चित रूप से इसके निपटान की समस्या को दूर करेगा और जैव अपशिष्ट को पौष्टिक मूल्य वाले खाद्य वस्तुओं में परिवर्तित किया जा सकेगा। इससे युवाओं के लिए उद्यमिता के द्वार खुलेंगे और सामाजिक-आर्थिक मानकों को बढ़ाने के लिए आजीविका का एक विकल्प हो सकता है।

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स्रोत: Amar Ujala