शिमला मिर्च की शीर्ष किस्में, जो 78-80 दिन में देंगी बंपर पैदावार

June 29 2022

भारत में शिमला मिर्च की खेती ज्यादातर उत्तरी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तथा कर्नाटक के आसपास के राज्यों में की जाती है. लगभग 2 से 3 महीने में तैयार होने के कारण शिमला मिर्च की खेती किसानों के लिए एक अच्छी आय का जरिए बन सकता है, जिसके लिए हम आपको शिमला मिर्च की से संबंधित कुछ प्रमुख किस्मों और पैदावार की जानकारी दे रहे हैं.
द्रा शिमला मिर्च मध्यम लंबे, तेज़ी से बढ़ने वाले झाड़ीदार पौधों में से एक है, इसके गहरे हरे व घने पत्ते फल को आश्रय प्रदान करते हैं. शिमला मिर्च गहरे हरे, मोटी दीवार वाले और चमकदार होते हैं. खरीफ सीजन में इंद्रा शिमला मिर्च की अच्छी पैदावार मुख्यत: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कलकत्ता, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड, ओडिशा, पंजाब में होती है, और बुवाई के 70-80 दिनों में यह शिमलामिर्च तोड़ने को तैयार हो जाती है.
भारत शिमला मिर्च तेज़ी से बढ़ने वाले पौधे, गहरे हरे रंग के होते हैं. भारत शिमला मिर्च को उगाने के लिए सूखी लाल दोमट मिट्टी की आवश्कता होती है, तथा जून से लेकर के दिस्मबर तक इसकी खेती करने के लिए मौसम अनुकूल माना जाता है. बुवाई के तकरीबन 90 से 100 दिनों के बाद इस फसल की तुड़ाई शुरू कर सकते हैं.
कैलिफोर्निया वंडर शिमला मिर्च भारत में उन्नत किस्मों में से एक मानी जाती है. इसका पौधा मध्यम ऊंचाई वाला होता है तथा फलों का रंग हरा होता है. रोपाई के लगभद 75 दिनों बाद इसकी तुड़ाई की जा सकती है. प्रति एकड़ जमीन से करीब 72 से 80 क्विंटल शिमला मिर्च का उत्पादन किया जा सकता है.
येलो वंडर शिमला मिर्च के पौधों ऊंचाई में माध्यम आकर की होते हैं तथा इसकी पत्तियां चौड़ी होती हैं. रोपाई के लगभग 70 दिनों बाद यह शिमला मिर्च की फसल तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ भूमि में इसकी खेती की जाए, तो करीब 48 से 56 क्विंटल शिमला मिर्च का उत्पादन संभव है.
पूसा दीप्ती शिमला मिर्च  हाइब्रिड किस्मों में से एक मानी जाती है. इसका पौधा दिखने में माध्यम आकर का झाड़ीनुमा होता है. इस किस्म के शिमला मिर्च के फलों का रंग हल्का हरा होता है जो पकने के बाद गहरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है. बुवाई के 70-75 दिनों बाद ही यह तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
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स्रोत : Ktrishi Jagran