शलजम की खेती में शानदार मुनाफा, जानिए उन्नत खेती का सही तरीका

January 09 2023

शलजम के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है कैंसर और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है हृदय रोग में भी लाभकारी है शलजम खाने से वजन भी कम हो सकता है इसके सेवन से फेफड़े भी मजबूत होते हैं. यह आंतों के लिए भी फायदेमंद होता है. शलजम लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद है साथ ही शलजम खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है. आप इसे सलाद में भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इतने सारे गुण होने की वजह से इसकी डिमांड ज्यादा है ऐसे में शलजम की खेती से किसानों को लाखों का मुनाफा होता है आइये जानते हैं उन्नत खेती का सही तरीका
शलजम की फसल से कमाई
शलजम की फसल 40 से 60 दिन में तैयार हो जाती है. पूसा चंद्रिका शलजम और स्नोवाल शलजम की फसल 55 से 60 दिन में तैयार होती है जबकि पूसा स्वीटी शलजम सबसे कम समय में 45 दिन में तैयार होता है. शलजम का उत्पादन 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है. बाजार में शलजम 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक जाता है. किसान इस फसल को लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मिट्टी और जलवायु
शलजम की खेती करने के लिए सबसे पहले किसी अच्छी भूमि का चयन कर लें. इसके लिए रेतीली या दोमट और बलुई मिट्टी वाला खेत जरूरी है. शलजम की जड़ें जमीन के अंदर होती हैं इसके लिए 12 से 30 डिग्री का तापमान होना चाहिए. इसे लो कास्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है.
शलजम की खेती का तरीका
खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना जरूरी है ऐसे में खेत की जुताई करें जिससे पिछली फसल के रिमेनिंग वेस्ट खत्म हो जाएंगें फिर कंपोस्ट को खेत में डालें और पानी से अच्छी तरह से सिंचाई करते हुए खेत की जुताई करें. मिट्टी के भुरभुरी होने के बाद इसे सपाट कर दें. 
ऐसे करें शलजम की बुवाई
शलजम की बुवाई पंक्तिबद्ध तरीके से करनी चाहिए. इसके लिए बीजों को 20 से 25 सेमी की दूरी पर तैयार किए गए कूढ़ों में बोना चाहिए. बुवाई के वक्त इस बात का ध्यान रखें कि पौधों की दूरी 8 से 10 सेमी होनी चाहिए शलजम को मेड़ों में भी बोया जाता है शलजम के पौधे जब 3 पत्तियों के हो जाएं तब बेकार के पौधों को निकालकर इनकी दूरी को 10 सेमी कर दें.