लहसुन उत्पादन में दूसरे स्थान पर कुल्लू, 1500 हेक्टेयर में हो रही खेती

November 22 2021

जिला कुल्लू प्रदेश में लहसुन उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। यहां करीब 1500 हेक्टेयर भूमि पर वर्तमान में खेती हो रही है। किसान इन दिनों लहसुन की निराई करने में जुटे हैं। लहसुन निराई के लिए यह समय उपयुक्त है। लिहाजा, किसान अपने खेतों में नगदी फसल की निराई करने में व्यस्त हैं। लहसुन कुछ सालों में जिले में बड़े पैमाने पर उगाया जा रहा है। इसका उपयोग मसाले से लेकर दवा निर्माण के लिए किया जा रहा है।

कृषि विशेषज्ञ किसानों को निराई के साथ नत्रजन खाद डालने की सलाह दे रहे हैं। बता दें कि कुल्लू जिले में कुछ वर्षों से नगदी फसल का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है। गत वर्ष अच्छे दाम मिलने से किसानों की आर्थिकी काफी मजबूत हुई थी।

गौरतलब है कि घाटी के सिंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों लहसुन की निराई जोरों से चल रही है। किसान अमित, दुनी चंद, अनूप ठाकुर, रोशन लाल, नवीन, केहर सिंह, देवराज, ज्ञान ठाकुर, बुद्धि प्रकाश, जयचंद ने कहा कि निराई के लिए समय सही है। फसल की समय पर निराई करने से इसकी गुणवत्ता और उत्पादन उम्दा होता है। उधर, जिला कृषि उपनिदेशक पंजवीर ठाकुर ने कहा कि जिन क्षेत्रों में लहसुन की पौध बड़ी हो गई। वहां निराई करने का उचित समय है। उन्होंने कहा कि निराई के साथ नत्रजन खाद भी डालें और खाद डालने के उपरांत सिंचाई अवश्य करें।

इन किस्मों का हो रहा अधिक उत्पादन

विशेषज्ञों का कहना है कि लहसुन की प्रमुख किस्मों में पंत लोहित, एग्रीफाउंड सफेद-जी 41, यमुना सफेद जी-1 और जी-2, जी 50, जी 282 और एग्रीफाउंड पार्वती जी-313 है। कुल्लू जिले में पार्वती जी-313 का ज्यादा उत्पादन हो रहा है।

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स्रोत: Amar Ujala