रेडिएशन से मिलेगा फूलों को रंग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय विज्ञानियों ने प्रयोग में पाई सफलता

November 18 2021

छत्तीसगढ़ में परमाणु ऊर्जा यानी विकिरण (रेडिएशन) के उपयोग से रंग-बिरंगे फूल विकसित होंगे। प्रदेश में फूलों की खेती बहुत पहले से की जा रही है और इसका बाजार भी बहुत बड़ा है। वर्तमान समय मे विभिन्न रंगों के फूलों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और इन विभिन्न रंगों के फूलों को लोग बहुत पसंद कर रहे है।

इसी को ध्यान में रखकर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि विज्ञानियों ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के सहयोग से फूलों के विभिन्न रंगों वाली किस्मों को विकसित करने की शुरूआत की है। कुछ फूलों में प्रयोग भी सफल हो गया है। रायपुर के अनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दीपक शर्मा ने बताया कि फूलों के रंगों को विकसित करने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ फूलों में हमने सफलता भी पाई है।

इसमें मिली है सफलता

वर्तमान मे म्यूटेसन ब्रीडिंग विधि का उपयोग करके गुलदाउदी, ग्लेडियोलस और दहलिया में विभिन्ना रंगों के किस्म विकसित किए जा चुके हैं।

किसमें कितना बदलाव आया, ग्लेडियोलस में छह रंग विकसित

ग्लेडियोलस फूल की इस किस्म की प्रजाति में सफ़ेद, पीला, नारंगी, गुलाबी, गहरा गुलाबी, लाल आदि रंगों के किस्म विकसित किए जा चुके हैं।

गुलदाउदी में सात रंग- गुलदाउदी में नारंगी, पिच, गुलाबी, गुलाबी-पीला, सफ़ेद, पीला, बैगनी आदि रंगों वाले पौधे विकसित हो चुके हैं।

दहलिया में छह किस्में

दहलिया में हल्का गुलाबी, गुलाबी, बैगनी, सफेद, पीला, नारंगी आदि रंगो के किस्म विकसित हो चुके हैं। ये सारी किस्में अभी परीक्षण स्तर पर हैं। जड़ ही ये किस्में किसानों के लिए रिलीज किया जाएगा। इससे किसानों को विभिन्न् रंगों के फूल भेजकर अधिक फायदा मिलेगा और लोगों को विभिन्ना रंगों के आकर्षक फूल बाजार में आसानी से और कम कीमत मे प्राप्त होंगे।

आगे इन फूलों पर होगा प्रयोग

कृषि विज्ञानियों के मुताबिक आने वाले समय में अभी रजनीगंधा और चाइना एस्टर में भी म्यूटेसन ब्रीडिंग विधि के द्वारा विभिन्न रंगों के फूल बनाने का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। डा. दीपक शर्मा ने बताया की जल्द ही गेंदा, मोंगरा, गुड़हल आदि के पौधों में भी विभिन्न रंगों के फूल लाने के लिए कार्य किया जाएगा। इस कार्य के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के द्वारा तकनीकी और आर्थिक सहयोग लिया जा रहा है।

ऐसे बदल रहे फूलों का रंग, ला रहे महक भी

फूलों को रंगीन बनाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने विकिरण आधारित म्यूटेशन ब्रीडिंग विधि का उपयोग शुरू किया है। इस विधि मे फूल वर्गीय पौधों के जड़, कंद, ट्यूबर को गामा विकिरण की बहुत सूक्ष्म मात्र से ट्रीट कराया जाता है और उन जड़, कंद, ट्यूबर को खेतों मे लगाकर एक-एक पौधों को लगातार देखा जाता है । इनमें आने वाले विभिन्ना रंगों के फूलों के आधार पर पौधों को टैग करके उन पौधों को बस आगे बढ़ाया जाता है। यह प्रक्रिया दो से तीन साल तक चलती है इसके बाद अगले दो से तीन सालों तक उनको परीक्षण किया जाता है और विभिन्ना स्तर परीक्षण करने के बाद किसानों के उपयोग के लिए रिलीज किया जाता है।

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स्रोत: Nai Dunia