छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने लोगों के सामने नई मिसाल पेश की है. इन महिलाओं ने आजीविका चलाने के लिए पारंपरिक खेती को छोड़ मशरूम उगाना शुरू कर दिया है. खास बात ये है कि ये महिलाएं घर के अंदर ही मशरूम की खेती कर रही हैं. ऐसे में इन्हें कम लागत में ही अच्छी कमाई हो रही है.
साथ ही बसन्तपुर गौठान के सामुदायिक बाड़ी में कार्यरत आकाश महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन और कश्मीरी मिर्च का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की नई कहानी गढ़ रही हैं.
विकासखण्ड वाड्रफनगर के ग्राम बसन्तपुर के गौठान में संचालित सामुदायिक बाड़ी में काम करने वाली आकाश महिला स्व सहायता समूह की सदस्य सोनमती कुशवाहा बताती हैं कि पहले वे सामान्य खेती-बाड़ी करके जीवन यापन कर रही थीं. जिससे उनके परिवार के पालन-पोषण, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च वहन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
लेकिन, महत्वाकांक्षी सुराजी ग्राम योजना के तहत बसन्तपुर में गौठान खुला और बिहान के माध्यम से जुड़ने का मौका मिला. इसके बाद बंसतपुर गौठान में मल्टीएक्टिविटी के तहत उद्यान विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में मशरूम उत्पादन, काश्मीरी मिर्च की खेती, मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया. खास बात यह है कि यहां लोग मशरूम की खरीदारी करने के लिए बाइक और कार से आते हैं.
सोनमती कुशवाहा ने बताया कि समूह से 60 हजार रुपये का लोन लेकर घर पर ही मशरूम की खेती शुरू की. शुरुआती दौर में ही 2 लाख रुपये की आमदनी हुई. जिससे उनके हौसले को नई उड़ान मिली. इसके बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन और काश्मीरी मिर्च की खेती का कार्य भी प्रारंभ किया. मधुमक्खी पालन से उन्होंने 60 किलोग्राम शहद का उत्पादन कर 70 हजार के आर्थिक आमदनी प्राप्त की.
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स्रोत:tv 9