मौसम की मार ने गिराया सेब का उत्पादन, गुणवत्ता और स्वाद पर भी पड़ा असर

October 23 2023

शिमला जिला में अक्टूबर में सेब सीजन समाप्ति पर पहुंच गया है जबकि पिछले साल नवंबर तक सेब मंडियों में बिकने के लिए पहुंचता था। एपीएमसी के मुताबिक वर्ष 2022 में जिला में 1 करोड़ 26 लाख 74 हजार 598 सेब की पेटियों का कारोबार हुआ था। इस साल 1 करोड़ 10 लाख पेटियां पहुंची मंडी में पहुंची है।

इस साल कम पहुंची सेब की पेटियां

शिमला की भट्ठाकुफर फल मंडी में सेब सीजन खत्म हो गया है। पिछले वर्ष जहां भट्ठाकुफर फल मंडी में 20 लाख 49 हजार 412 सेब की पेटियां पहुंची थी, वहीं इस बार 8 लाख 10 हजार 108 पेटियां ही पहुंची। जिला में अभी तक एक करोड़ 91 लाख सेब की पेटियां बिकने के लिए पहुंची। ये शिमला जिला की मंडियों के अलावा बाहरी राज्यों की मंडियों को भेजी गई।

अक्टूबर में सेब सीजन समाप्ति पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल नवंबर तक सेब मंडियों में बिकने के लिए पहुंचता था। एपीएमसी के मुताबिक वर्ष 2022 में जिला में 1 करोड़, 26 लाख, 74 हजार, 598 सेब की पेटियों का कारोबार हुआ था। इस साल 1 करोड़ 10 लाख पेटियां पहुंची मंडी में पहुंची है।

फसल कम पर दाम अच्छा मिला

सरकार ने इस बार सेब को किलो के हिसाब से खरीदने की व्यवस्था की। फसल भले ही कम थी लेकिन दाम बागवानों को अच्छे मिले हैं। किलो के हिसाब से सेब बिकने से भी बागवानों को लाभ हुआ। अन्यथा प्रति पेटी चार से पांच किलो अतिरिक्त सेब जाता था। इस बार औसतन 40 से 120 रुपये प्रतिकिलो तक सेब बिका है।

कुल सेब उत्पादन का 80 फीसद शिमला में होता है

हिमाचल की सबसे महत्वपूर्ण फल फसल सेब है। यह वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल फल क्षेत्र का 48.8 प्रतिशत और कुल फल उत्पादन का 81 प्रतिशत है। सेब का क्षेत्रफल 1950-51 में 400 हेक्टेयर से बढ़कर 1960-61 में 3,025 हेक्टेयर और वित्त वर्ष 2021-22 में 115,016 हेक्टेयर हो गया है। 2007-08 और 2021-22 के बीच, सेब के क्षेत्र में 21.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। राज्य के कुल सेब उत्पादन में अकेले शिमला जिले का हिस्सा 80 प्रतिशत है।

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स्रोत: जागरण