उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान पारंपरिक खेती से हटकर फलों की खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. यह बदलाव उद्यान विभाग द्वारा चलाई जा रही चौपाल के माध्यम से संभव हुआ है. यहां पपीता की खेती करने वाले किसान अंकित मौर्य की कहानी निराली है. वो पहले धान और गेहूं की फसल करके अपनी आजीविका चलाते थे, लेकिन इसमें फायदा बहुत कम था. ऐसे में उन्होंने फसल विविधीकरण करने खेती में बदलाव करने का फैसला लिया. जिसके परिणाम स्वरूप उनके खेत में पपीते के पौधे तैयार हुए.
अंकित मौर्य ने बताया कि धान और गेहूं की फसल में फायदा नहीं रह गया है. इसकी वजह से उनकी माली स्थिति दिन प्रति दिन खराब होती चली जा रही थी. इसके लिए उन्होंने अपने गांव कछौना से हरदोई की तरफ रुख किया. उद्यान विभाग जाकर वहां के अधिकारियों से मुलाकात की. अपनी समस्या बता बताई. फिर जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने उनके क्षेत्र और जमीन के विषय में जानकारी हासिल करने के बाद उन्हें पपीता की खेती करने की सलाह दी.
एक सीजन में 10 लाख रुपये की कमाई
बागवानी विभाग ने पपीता की खेती करने का तरीका बताया और उन्हें बीज भी मुहैया कराया. मिट्टी का पीएच नपवाने के बाद उन्होंने एक हेक्टेयर में पपीता की खेती शुरू कर दी. पहली फसल ने उनकी किस्मत को खोल कर रख दिया. उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त हुआ है. पेड़ों के सही संरक्षण, सही समय पर खाद-पानी देकर व कीट प्रबंधन करके वह अपने खेत से पपीते की अच्छी फलत प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने अपने पपीते के पेड़ों के बीच करीब 7 फीट का गैप रखा है. एक हेक्टेयर में करीब एक हजार क्विंटल का उत्पादन मिला है. एक सीजन में करीब 10 लाख रुपए की कमाई हुई है.
अब खेती का विस्तार करने की योजना
मौर्य ने बताया कि अब वह अपने पपीते की खेती को और बढ़ाकर करीब 5 हेक्टेयर में करने का मन बना रहे हैं. उन्हें पपीते की बिक्री के लिए लखनऊ, कानपुर समेत अपने जिले में भी अच्छी बाजार मिल रहा है. उन्होंने पपीता का रोपण कार्य खेतों में ऊंची बाटहरी बनाकर किया है. बताया कि एक स्वस्थ पेड़ में करीब 50 किलो तक पपीते के फल आए हैं. अब उन्हें देखकर आसपास के किसान पपीते की खेती करने का मन बना रहे हैं. हरदोई के जिला अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि किसानों को फलों की खेती करने के लिए उद्यान विभाग और कृषि विभाग की तरफ से जागरूक किया जा रहा है.
ड्रिप इरिगेशन का दिलाया जा रहा है फायदा
जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि समय-समय पर बागवानी फसलों के खेतों में जाकर निरीक्षण करके आवश्यक जानकारी प्रदान की जा रही है. किसानों को ड्रिप इरिगेशन विधि से भी जोड़ा जा रहा है. किसानों को सब्सिडी भी मुहैया कराई जा रही है. समय-समय पर जागरूक किसानों को सम्मानित भी किया जा रहा है. जनपद में बड़ी संख्या में पपीता की खेती से किसान लाभ कमा रहे हैं. पपीता से मुरब्बा, जैम, जैली जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं. यह अत्यंत पौष्टिक फल होता है.
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स्रोत : Tv9