भारत एक किसानों का देश है। जहां पर अधिकतर लोग खेती कर अपने जीवन जीते हैं। किसान अपने खेत में समय-समय पर लगभग हर तरह की खेती करते हैं, लेकिन तर कृषि को भारत में बहुत ही लोकप्रिय खेती में से एक माना जाता है, क्योंकि यह कम लागत में किसान भाइयों को एक अच्छा मुनाफा देती है। भारत के कई राज्यों में तर की खेती की जाती है, लेकिन बहुत ही कम लोग ही है, जो तर खेती के नाम या इसके बारे में जानते है।
क्या है तर की खेती
अगर आप एक किसान है या आप गांव में रहते हैं, तो इस खेती के बारे में जानते ही होंगे। तर कृषि एक प्रकार की खेती है, जिसे कॉप मिट्टी (जलोढ़ मिट्टी) के उन क्षेत्रों में की जाती है, जहां पर वर्षा की मात्रा लगभग 200 सेमी से अधिक होती है। वैसे देखा जाए, तो भारत में अधिक वर्षा वाली खेती को मध्य व पूर्वी हिमालय, अस, मेघालय, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिमी समुद्र तटीय मैदानों में होती है, क्योंकि इन क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई करनी की जरूरत नहीं होती है और साल में एक से अधिक बार खेत से किसान फसल उत्पादन कर सकता है। जिससे किसान को अधिक मुनाफा होता है। तर की खेती में मुख्यतः चावल और जूट की फसल है। जिसे फसल को अधिकतम किसान अपने खेत में उगाते है। बता दें कि एक आंकड़ों के अनुसार भारत विश्व में जूट की खेती करने वाला सर्वाधिक क्षेत्रफल देश है।
तर की खेती के फायदे
- अन्य खेती की तुलना में इस खेती में रोग व कीटों का प्रकोप कम होता है।
- तर की खेती में लागत कम आती है।
- किसानों को इसकी फसलों की बाजार में मांग के कारण अधिक मुनाफा होता है।
- इसे जैविक खाद व कम्पोस्ट खाद का प्रय़ोग करके बेहतर फसल बनाया जा सकता है।
- यह खेती वैज्ञानिक तरीके से करने में बहुत अच्छा मुनाफा कमा देती है।
- साल में एक से अधिक बार इस खेत से फसल उत्पादन कर सकता है।
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स्रोत: Krishi Jagran