दाल मिलों की मांग मंजूर, प्रदेश के बाहर से आने वाले दलहन पर मिलेगी मंडी शुल्क से छूट

March 14 2022

प्रदेश के बाहर से आने वाले दलहन पर अब मंडी शुल्क नहीं लागू होगा। सरकार मंडी शुल्क में राहत दे रही है। एक अप्रैल से इसे लागू किया जाएगा। दाल मिलों की और से ये मांग रखी गई थी। सरकार ने मांग मंजूर कर ली है।

आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने मध्यप्रदेश के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग रखी थी। तुअर, उड़द, मुंग, मसूर, मटर/बटरा/बटरी आदि पर मंडी शुल्क से छूट प्रदान करने के लिए दाल मिल संचालकों ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी से वल्लभ भवन भोपाल में मुलाकात की थी। मिल संचालकों ने ज्ञापन देकर कहा था कि प्रदेश के दाल उद्योग को बचाने के लिए शुल्क खत्म करना जरूरी है।

आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कई वर्षों से प्रदेश के दाल उद्योगों को राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क के भुगतान में पूर्णतः छूट प्रदान दी जाती रही है। पिछले काफी समय से यह छूट नहीं देने के कारण मध्यप्रदेश के दाल उद्योग अन्य राज्यों की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं। मंडी शुल्क से छूट प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से भोपाल में चर्चा हुई थी। प्रतिनिधि मंडल में एसोसिएशन आफ पल्सेस मैन्यूफेक्चरर्स के सचिव मुन्नालाल बंसल एवं कमल गोयल भी सम्मिलित हुए।

प्रमुख सचिव से प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि मध्यप्रदेश के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले कच्चे माल ( दलहन) पर मंडी शुल्क से छूट के कारण ही मध्यप्रदेश की दाल इंडस्ट्रीज चल पा रही थीं और गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक सहित देश के अन्य राज्यों के दाल उद्योगों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करके दाल मिल कारखाने चला पा रहे थे। अब तक इस पर मंडी शुल्क लगने के कारण उद्योग अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं।

दरअसल दलहन का उत्पादन मध्यप्रदेश में कम होता है। दाल इंडस्ट्रीज को अन्य प्रदेशों गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों से खड़ा दलहन मंगवा कर दाल बनाना पड़ती हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में उनके राज्य के बाहर से दलहन- तुअर, उड़द, मुंग, मसूर, चना आदि खरीद कर दाल बनाने पर मंडी शुल्क नहीं लगता है। इस वजह से वहां की दालें मध्यप्रदेश की तुलना में दो रुपये प्रति किलो कम कीमत पर बिकती हैं। मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क के कारण कीमतें ऊंची हो जाती है। नतीजा मप्र की दालें बिक नहीं पाती हैं। इसलिए पड़ोसी राज्यों की भांति ही मध्यप्रदेश में भी राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से स्थाई रूप से छूट दी जाना चाहिए। हमने ने मांग रखी थी सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क की दर 0.50 पैसे की जाना चाहिए।

दाल मिल एसोसिएशन के अनुसार बढ़ती महंगाई के बीच उपभोक्ताओं के हित में भी यह राहत जरूरी है। सिद्धान्तनके अनुसार सरकार प्रदेश में उत्पादित उपज पर मंडी शुल्क लेती है। ऐसे में भी बाहरी दलहन पर शुल्क लगाना जल्ट है। उद्योगपतियों ने प्रमुख सचिव से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश के परंपरागत कृषि आधारित दाल उद्योगों के हित में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन तुअर/ अरहर, मुंग, उड़द / उरदा, मसूर, मटर/बटरा/बटरी पर मंडी शुल्क की छूट स्थाई रूप से प्रदान करने हेतु योग्य कार्यवाही करने का कष्ट करे।

प्रमुख सचिव ने आश्वस्त किया था कि इस सम्बंध में मुख्यमंत्री, कृषि मंत्रीजी एवं संबंधित विभाग से चर्चा कर योग्य निर्णय हेतु कार्यवाही की जावेगी। इसके बाद अब कृषि मंत्री ने इस बारे में घोषणा की है। एक अप्रैल से शुल्क में राहत दी जाएगी। हालांकि अधिसूचना के इंतज़ार है। अधिसूचना जारी होने से ही स्पष्ट होगा कि शुल्क खत्म किया जा रहा है या कम किया जा रहा है।

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स्रोत: Nai Dunia