गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित होगी प्याज की खेती

December 10 2021

पूर्वांचल के किसानों ने अगर रुचि दिखाई तो इस क्षेत्र को प्याज की महंगाई से तो निजात मिलेगी ही, किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। साथ ही गन्ने में लगने वाले पिहिका रोग से भी निजात मिलेगी, जिससे गन्ने की औसत उपज भी बढ़ जाएगी। यह सब कुछ संभव हो जाएगा, केवल गन्ने के साथ प्याज की बोआई से। किसानों को इसके लिए न तो अतिरिक्त खेत की जरूरत होगी और न ही अतिरिक्त संसाधन की। बोआई का तरीका भी कठिन नहीं है।

गन्ने की खेती को लाभकारी बनाने के लिए शासन के निर्देश पर उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान पिपराइच से प्रगतिशील किसानों की एक टीम को महाराष्ट्र भेजा गया था। इस टीम का नेतृत्व कर रहे संस्थान के सहायक निदेशक ओमप्रकाश ने बताया कि प्याज अनुसंधान संस्थान राजगुरु नगर, पुणे (महाराष्ट्र) के विशेषज्ञों की एक टीम ने हमारी टीम को ‘गन्ना के साथ प्याज’ की सहफसली खेती को दिखाया। यह अत्यंत ही सरल विधि है। शरदकालीन गन्ना की बोआई नवंबर में होती है। आमतौर पर इस गन्ने की पेड़ी की सिंचाई व गुड़ाई का काम जनवरी के अंत में शुरू होता है। यही समय प्याज की बोआई का होता है। गन्ने की दो क्यारियों के बीच की खाली जगह में प्याज की बोआई कर देने से खेत में खर पतवार कम होंगे। अप्रैल में जब गन्ने के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का वक्त होता है, उस वक्त प्याज निकाली जाती है। लिहाजा यही मिट्टी पौधे की जड़ पर चढ़ाने के काम आ जाएगी। इससे एक ही मजदूरी में किसानों का दो काम हो जाएगा। 

प्रति एकड़ साढ़े चार किलो बीज की होगी जरूरत

गन्ने के साथ प्याज की बोआई के लिए प्रति एकड़ साढ़े चार किलो बीज की जरूरत पड़ेगी। प्याज का बीज हर जगह दुकानों पर आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा देवरिया में पंजीकृत केंद्र भी है, जहां से किसान प्रमाणित बीज ले सकते हैं। एक किलो बीज की कीमत 2600 रुपये है। बेहन गिराने के 45 से 50 दिन बाद इसकी रोपाई होती है।

प्रति एकड़ 60 क्विंटल होती है उपज

गन्ने के साथ प्याज की बोआई करने पर प्रति एकड़ 60 से 70 क्विंटल उपज होती है। फसल तैयार होने में 135 से 145 दिन तक लगते हैं। बाजार में डिमांड होने के चलते फसल तत्काल बिक जाएगी, जिससे किसानों को फायदा मिलेगा। 

खेत की तैयारी में रखें इसका ख्याल

अंतिम जुताई के समय खेत में गोबर की खाद को अच्छी प्रकार से मिला दें। बोआई से पहले खेत में 75 किलोग्राम एनपीएस तथा 30 किग्रा पोटाश मिलाएं। नर्सरी में तैयार प्याज के पौधों को जनवरी के दूसरे सप्ताह से फरवरी के प्रथम सप्ताह तक रोपाई करें। दो पौधों के बीच में 10 सेमी की दूरी रखें। रोपाई के 30 से 45 दिन पर गुड़ाई कर खर पतवार निकाल दें। समय-समय पर हल्की सिंचाई करें। 

गन्ने में नहीं लगेगा पिहिका रोग

प्याज में कुछ विशेष प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं जिनकी वजह से प्याज काटते समय आंख से आंसू निकलने लगते हैं। एंजाइम की गंध से गन्ने में लगने वाले पिहिका रोग के जिम्मेदार कारकों पर भी नियंत्रण मिलता है। इसलिए जिस खेत में गन्ना के साथ प्याज की बोआई होती है, उसमें कीटनाशकों का कम प्रयोग करना पड़ता है। 

किसानों को किया जा रहा जागरूक

उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान पिपराइच के सहायक निदेशक ओमप्रकाश बताते हैं कि गन्ने के साथ प्याज की सहफसली खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार गोष्ठी कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। गोरखपुर मंडल की मिट्टी और जनवरी से अप्रैल तक का तापमान प्याज की खेती के लिए उपयुक्त है। अगर किसानों ने रुचि दिखाई तो इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा।

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स्रोत: Amar Ujala