आईआईटी मंडी का शोध: संतरे के छिलके से पकेगा खाना, मिलेगी उष्ण ऊर्जा

February 24 2022

संतरे के छिलके से अब खाना पकेगा। उष्ण उर्जा (हीट एनर्जी) भी मिलेगी। वहीं, भविष्य में इसका उपयोग कारखाने चलाने वाली उर्जा से लेकर वाहनों दौड़ाने के लिए इस्तेमाल होने इंधन के रूप में किया जा सकेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने यह कमाल कर दिखाया है। वैज्ञानिकों ने संतरे के छिलके से जैव इंधन तैयार करने में सफलता हासिल की है। जिससे रसोई गैस, पेट्रोल और ताप उर्जा को इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। शोध टीम के निष्कर्ष हाल में ग्रीन केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस शोध से बायोमास से ईंधन विकसित करने में मदद मिलेगी, जो राष्ट्र की मांग है। गिरते पेट्रोलियम भंडार के चलते देश में इंधन की खपत को पूरा करने में यह अविष्कार सहायक होगा और अन्य ईंधनों से सस्ता होगा। शोध के प्रमुख स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेंकट कृष्णन हैं और सह लेखक उनकी शोधकर्ता तृप्ति छाबड़ा और प्राची द्विवेदी हैं।

इस तरह किया शोध

शोधकर्ताओं ने  सूखे संतरे के छिलके के पाउडर को साइट्रिक एसिड के साथ हाइड्रोथर्मल रिएक्टर (लैब प्रेशर कुकर) में कई घंटों तक गर्म किया। इससे उत्पन्न हाइड्रोचार को अन्य रसायनों के साथ ट्रीट किया गया ताकि इसमें एसिडिक सल्फोनिक, फॉस्फेट और नाइट्रेट फंक्शनल ग्रुप आ जाएं। डॉ. वेंकट कृष्णन बताते हैं कि बायोमास कन्वर्शन (ऊर्जा में बदलने) का सबसे सरल और सस्ता उत्प्रेरक हाइड्रोचार पर शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है। जो कामयाब रहा है।

जैव इंधन उजर्ज्ञ का अहम स्रोत

जैव ईंधन ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जिसका देश के कुल ईंधन उपयोग में एक-तिहाई का योगदान है और ग्रामीण परिवारों में इसकी खपत लगभग 90 प्रतिशत है। जैव ईंधन का व्यापक उपयोग खाना बनाने और उष्णता प्राप्त करने में किया जाता है। उपयोग किए जाने वाले जैव ईंधन में कृषि अवशेष, लकड़ी, कोयला और सूखे गोबर आदि शामिल हैं।  भारत में जैव ईंधन की वर्तमान उपलब्धता लगभग 120-150 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है।

शोध के बारे में

बायोमास कन्वर्शन (ऊर्जा में बदलने) का सबसे सरल और सस्ता उत्प्रेरक हाइड्रोचार पर शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है। यह आमतौर पानी के साथ बायोमास कचरे (इस मामले में संतरे के छिलके) को गर्म कर प्राप्त होता है। इसमें हाइड्रोथर्मल कार्बोनाइजेशन की प्रक्रिया होती है। इस कन्वर्शन में बतौर उत्प्रेरक हाइड्रोचार का उपयोग अधिक लाभदायक है क्योंकि यह नवीकरणीय है और इसकी रासायनिक और भौतिक संरचना बदल कर उत्प्रेरक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

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स्रोत: Amar Ujala