हिमाचल प्रदेश की अपनी नई सेब किस्म पर मुहर, बागवान को मिली कामयाबी

February 19 2021

हिमाचल प्रदेश की अपनी नई सेब किस्म पर मुहर लग गई है। कोटखाई के जलटाहर गांव के बागवान प्रेम सिंह चौहान ने रेड डिलिशियस की नई किस्म  तैयार करने का दावा किया था। भारत सरकार की पंजीकरण एजेंसी ने इस दावे को सही पाया है। यह किस्म बागवान प्रेम सिंह चौहान के नाम से पेटेंट हो गई है। इसे ऐप्स नाम दिया गया है। यह किस्म रंग, आकार और अन्य कई विशेषताओं में बेहतरीन है। कोटखाई के जलटाहर गांव के बागवान प्रेम सिंह चौहान ने रेड डिलिशियस की नई किस्म तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। भारत सरकार की पौध किस्म रजिस्ट्री ने इसे रेड डिलिशियस की नई रूपांतरित किस्म के रूप में पंजीकृत कर लिया है। चौहान को इसका प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया है।

रजिस्ट्री के पंजीयक से आए प्रमाणपत्र संख्या- 4436 के अनुसार चौहान इस किस्म के वास्तविक प्रजनक हैं। पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार अधिनियम- 2001 के उपबंधों के अनुसार वह इस किस्म के अधिकार के हकदार हैं। इस किस्म को उनके नाम पंजीकरण करने के बारे में कोई आक्षेप नहीं है। ऐसे में इसे उनके नाम से पंजीकरण करने की संस्तुति की जाती है। प्रमाणपत्र के अनुसार इसके उत्पादन, विक्त्रस्य, विपणन, आयात-निर्यात आदि पर प्रेम सिंह चौहान का नियंत्रण होगा। हालांकि वह इसके लिए किसी अन्य व्यक्ति को भी अधिकृत कर सकेंगे। चौहान ने इस रेड डिलिशियस परिवार की इस प्रकारांतर किस्म को पेटेंट करने के लिए 9 अगस्त, 2016 को आवेदन किया था। विशेषज्ञों ने इसके लिए उनके सेब बागीचे का भी दौरा किया था। यह उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा रेड डिलिशियस सेब ही उगाया जाता है। 

20 साल के संघर्ष में कामयाबी.. हिमाचल में रेड डिलिशियस का अपना श्रेष्ठ रूपांतरण 

डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने इसे राज्य के लिए बड़ी कामयाबी बताया है। उन्होंने कहा कि प्रेम सिंह चौहान 20 साल के संघर्ष के बाद इसमें कामयाब हुए हैं। रंग, आकार और गुणवत्ता में इसका मुकाबला नहीं। उधर, प्रेम सिंह चौहान ने कहा है कि यह रेड डिलिशियस किस्मों में ही म्यूटेशन की पक्रिया से तैयार की गई है। सेब की जितनी भी प्रदर्शनियां लगीं, उसमें यह आगे रही। सऊदी अरब के व्यापारियों ने भी उनसे इसे खरीदा।

 

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स्रोत: Amar Ujala