सेब के लिए संजीवनी बनी बर्फबारी, बंपर फसल की उम्मीद

February 08 2021

ताजा बर्फबारी और बारिश ने हिमाचल में आगामी सीजन में होने वाले सेब के करीब 4 हजार करोड़ के कारोबार में जान फूंक दी है। ऊंचाई और मध्यम इलाकों में भारी हिमपात होने से बागवानों को सेब की बंपर फसल होने की उम्मीद जगी है। वहीं निचले क्षेत्रों में भी झमाझम बारिश ने बीते लंबे समय से चले सूखे की मार से बागवानों को निजात दिलाई है।

ताजा बर्फबारी और बारिश से सेब फसल के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावनाएं भी लगभग बढ़ गई हैं। यदि सेब की फ्लावरिंग के दौरान भी मौसम ने इसी तरह साथ दिया तो निश्चित तौर पर सेब की बंपर फसल होने से करोड़ों का कारोबार हो सकता है।

कृषि और बागवानी के लिए ताजा बर्फबारी और बारिश संजीवनी मानी जा रही है। आगामी सीजन में करीब चार हजार करोड़ का सेब कारोबार होने का अनुमान है। बागवानी विशेषज्ञों की मानें तो सेब की अच्छी फसल के लिए दिसंबर से फरवरी तक करीब 1400 घंटे चिलिंग आवर्स आवश्यक होते हैं। इस दौरान सेब सहित अन्य फलदार पेड़ सुस्तावस्था में होते हैं। इसके बाद जब फ्लावरिंग होती है तो सेब के पेड़ों को औसतन 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता रहती है। यह तापमान सेब फसल की सेटिंग के लिए उपयुक्त माना जाता है।  

बागवान दुष्यंत मेहता, इंद्रजीत, प्रेमराज कायथ, रोहित, अनिल भंडारी, कुलदीप, सुनील चौहान, ओपी नेगी, रमेश नेगी, विनोद ठाकुर और विकास कंवर ने कहा कि ताजा बर्फबारी और बारिश सेब और स्टोन फ्रूट्स के लिए संजीवनी साबित होगी। संवाद 

बागवानी विशेषज्ञ जगदीश वर्मा ने कहा कि ताजा बर्फबारी और बारिश सेब के लिए काफी फायदेमंद रहेगी। सेब की फसल के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे होने की उम्मीद है। इससे सेब की अच्छी पैदावार होगी। वहीं नए पौधे लगाने के लिए भी यह बर्फबारी और बारिश अच्छी है। 

सेब और अन्य फलों के बगीचों सूखे से पेड़ पर पड़ने लगी थी मार 

हिमाचल के विभिन्न भागों में ताजा हिमपात के बाद बगीचों में नमी लौट आई है। सेब और अन्य फलों के बगीचों में सूखे से फलदार पेड़ों पर मार पड़ने लगी थी। सूखे के बाद से बागवानों की परेशानी बढ़ने लगी थी, क्योंकि बगीचों में लगे नए पेड़ सूखने लगे थे।  प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बिखरे रूप से बर्फबारी के कारण सेब और अन्य फल उत्पादक क्षेत्रों के बगीचों में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी। इस बर्फबारी के बाद से बगीचों में बगावानों को सही समय में उचित प्रबंधन का मौका भी मिल पाएगा। 

अबी तक सूखे के कारण कई इलाकों में बागवान बगीचों में तौलिए तैयार नहीं कर पा रहे थे। बगीचों में नमी के बाद से बागवान बगीचों में खाद डालने का काम भी कर पाएंगे।  वैज्ञानिक सलाह से ही बागवान अपने बगीचों की देखभाल करें। बागवानी विशेषज्ञ डा. एसपी भारद्वाज कहते है कि फरवरी में हुए भारी हिमपात से सेब और अन्य फलदार बगीचों को लंबे समय तक नमी मिल पाएगी। सूखे के कारण कई क्षेत्रों से बागवान फलदार पेड़ों को सूखने की शिकायत बराबर कर रहे थे। इस बार की बर्फ से नमी के बाद बगीचों में तौलिए बना सकेंगे। इसके साथ ही बगीचों में खाद डालने का उचित समय रहेगा।

 

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स्रोत: Amar Ujala