समय से भुगतान न होने से मोहभंग, 36 हजार किसानों ने छोड़ दी गन्ने की खेती

February 15 2021

सरकार की तमाम सख्ती के बाद भी चीनी मिलें किसानों को समय से गन्ने का बकाया भुगतान नहीं कर रही हैं। साल-साल भर बाद गन्ने का बकाया भुगतान न होने से किसानों को गन्ने की खेती से मोहभंग होता जा रहा है। यही वजह है कि तहसील क्षेत्र के 36 हजार किसानों ने गन्ने की खेती करना ही छोड़ दी।

सहकारी गन्ना विकास समिति के अभिलेखों के अनुसार तहसील क्षेत्र में 1.12 लाख गन्ना किसान हैं। किसान बजाज हिंदुस्तान चीनी मिल बरखेड़ा, किसान सहकारी चीनी मिल बीसलपुर, बजाज हिंदुस्तान चीनी मिल मकसूदापुर, डालमियां शुगर मिल निगोही, द्वारिकेश चीनी मिल फरीदपुर और एलएच चीनी मिल पीलीभीत से जुड़े हैं। अधिकांश चीनी मिलें समय से गन्ने का बकाया भुगतान नहीं करतीं। जबकि नियमानुसार 14 दिन में बकाया भुगतान करना चाहिए। जिले में गन्ना के बकाया भुगतान की स्थिति यह है कि चीनी मिलें साल भर बीतने के बाद भी बकाया भुगतान नहीं कर पा रही हैं।

चार चीनी मिलों में से तीन ने तो पिछले सत्र का शत प्रतिशत भुगतान कर दिया है। मगर अभी भी बजाज चीनी मिल बरखेड़ा पर 18.13 करोड़ रुपये की बकायेदारी है। साधन संपन्न किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ता, मगर मझोले व छोटे किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि 1.12 लाख में से इस सत्र में केवल 76 हजार किसान चीनी मिलों के गन्ना सप्लायर हैं। 36 हजार किसानों ने गन्ना की खेती से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। बताते हैं कि इन किसानों ने गन्ने के स्थान पर गेहूं की खेती करनी शुरू कर दी। 

14 दिन के भीतर होना चाहिए गन्ने का भुगतान 

गन्ना नीति के अनुसार जिस दिन गन्ना तौला जाता है उसके 14 दिन के भीतर हर हालत में उस गन्ने का भुगतान संबधित किसान को मिल जाना चाहिए। यह भी प्रावधान है कि यदि चीनी मिलें 14 दिन में भुगतान न कर पाएं तो मिलों को ब्याज समेत भुगतान करना चाहिए। यहां की चीनी मिलें इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं करतीं। 

समिति के अभिलेखों के अनुसार पूरे क्षेत्र में 1.12 लाख गन्ना किसान हैं। इस सत्र में सिर्फ 76 हजार किसानों ने गन्ने की फसल की है। 36 हजार किसानों ने इस वर्ष गन्ने की फसल नहीं बोई है - आरपी कुशवाहा, सचिव, सहकारी गन्ना विकास समिति बीसलपुर

 

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स्रोत: Amar Ujala