सब्जियों के ‘राजा’ पर पिछेती झ़ुलसा का साया, पत्तियों पर धब्बे पड़े तो प्रभावित होगा उत्पादन

December 09 2020

सब्जियों के राजा आलू की फसल भी सर्दी अपनी चपेट में लेने लगा है। कोहरा और पाला पड़ने के दौरान फसल में पिछेती झुलसा और विषाणु रोग में खासकर आलू की माहु ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। हालांकि झुलसा की अभी शुरुआत है, मगर कोहरा बढ़ा तो फसल में पिछेती झुलसा पत्तियों पर काले धब्बे छोड़ देगा जो आगे चलकर आलू के कंद को चपेट में ले लेगा। ऐसे में आलू का उत्पादन भी प्रभावित होगा।

बदायूं ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों में पक्के आलू की खेती बहुतायत में होती है। आलू की अगेती फसल तो इन दिनों मार्केट में पहुंच चुकी है, लेकिन पके आलू की खेती के लिए आने वाले दिन ज्यादा अच्छे साबित नहीं होंगे। कुछ दिनों से सुबह और रात में कोहरा पड़ने से पिछेती झुलसा ने प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन पिछेती झुलसा आलू की पत्तियों को चपेट में लेकर काले धब्बे छोड़ देता है जो आगे चलकर आलू के कंद को सड़ा देने का काम करता है। इसी तरह विषाणु जनित आलू की माहु भी फसल को चपेट में ले लेती है। प्रकोप वाले पौधों के आलू का दाना काफी छोटा हो जाता है। 

किसानों की मानें तो पिछले साल भी विषाणु जनित माहु ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था। आलू की पैदावार भी प्रभावित हुई थी। बता दें कि खेत में पक्के आलू की गड़ाई अक्तूबर में शुरू होती है। एक-दो सप्ताह देरी से गड़ाई कोई खास मायने नहीं रखती। अप्रैल में आलू पूरी तरह पककर तैयार हो जाता है।

पिछेती झुलसा से बचाव को कीटनाशक स्प्रे जरूरी

आलू की फसल में पिछेती झुलसा से बचाव के लिए खेत में साइमोक्सनिल आठ प्रतिशत को मेनकोजेब की 64 प्रतिशत मात्रा आधा लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें तो पत्तियों पर बीमारी का प्रभाव नहीं पड़ता। आलू की माहु नष्ट करने के लिए थायोमिडाक्सम एक सौ ग्राम को दो सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। विषाणु जनित माहु और पिछेती झुलसा को प्रकोप बढ़े तो उस वक्त खेत में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

आलू की फसल में इन दिनों विषाणु जनित माहु और पिछेती झुलसा की शंका अधिक है। दोनों ही बीमारियां मौसम के बदलाव के दौरान प्रकोप दिखातीं हैं। आसमान में बादल छाए रहें तो दिक्कत और बढ़ जाती है। जिस समय फसल में पिछेती झुलसा या फिर माहु प्रकोप दिखाए तब यूरिया के इस्तेमाल से बचना चाहिए। - डॉ. संजय कुमार, कृषि वैज्ञानिक।

 

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स्रोत: Amar Ujala