लंबी लड़ाई की तैयारी में पंजाब के किसान, शांतिपूर्ण करेंगे विरोध प्रदर्शन

September 24 2020

पंजाब के किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से लंबी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। किसानों ने साफ कर दिया है कि वह कृषि विधेयकों को न माने हैं और न भविष्य में मानेंगे। उनका कहना है कि वह अपने आंदोलन को उग्र बनाकर अभी सरकार व पुलिस प्रशासन से कोई पंगा नहीं लेंगे। फिलहाल उनका ध्येय अपने असल लक्ष्य की प्राप्ति यानी इन विधेयकों को वापस कराना रहेगा।

किसान कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य सतनाम सिंह बहिरू ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों को फुसलाने के लिए एमएसपी में जो बढ़ोतरी की है, वह बेहद मामूली है। यह एलान किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। 25 सितंबर को किसानों ने पंजाब बंद का एलान किया गया है, उसे शांतिपूर्ण ढंग से करने के लिए सभी किसान भाइयों से बैठक के दौरान अपील की गई हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का मकसद केवल इन खेती कानूनों को रद्द कराना है। लड़ाई शांतिपूर्ण लड़ी जाएगी फिर चाहे यह कितनी ही लंबी क्यों हो।

भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि सीएम के शहर पटियाला में किसान यूनियन उगराहां की तरफ से मोती महल की तरफ कूच कर मार्च आदि नहीं निकाला गया। दरअसल, किसान अभी आंदोलन को उग्र कर सरकार से सीधे टक्कर नहीं लेना चाहते हैं। ऊपर से पंजाब सरकार का रवैया किसानों के साथ ठीक ही रहा है। हालांकि किसानों ने अब तक अपने मंचों पर कांग्रेस के किसी भी नेता को बोलने या आने तक का अवसर नहीं दिया। किसान नेता अवतार सिंह कौरजीवाला के मुताबिक किसान अपने हकों को लेकर रहेंगे।

किसानों का यह कदम अच्छा है। शांतिपूर्ण आंदोलन हमेशा ही ज्यादा असर डालता है। वैसे भी सरकार व प्रशासन से उलझ कर किसान अपने असल मुद्दे से भटक जाएंगे, जो उनके लिए ही ठीक नहीं होगा। - प्रोफेसर जसविंदर सिंह बराड़, अर्थशास्त्र विभाग, पंजाबी यूनिवर्सिटी।

 

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स्रोत: Amar Ujala