मानसून की बेरुखी से फसलों पर आफत

July 09 2021

मानसून के कदम अंचल में आने से पहले ठहर गए हैं। बारिश पर गर्मी का संक्रमण चल रहा है। इस कारण खरीफ की फसलों पर आफत आ गई है। आधे आषाढ़ में जिले के खेत हरियाली से लहलाने लगते थे, इस बार उनमें धूल उड़ रही है। बारिश ने किसानों को चिंतित कर दिया है। समय पर बारिश नहीं होने से सूखे के हालात बनने लगे हैं। मानसून की उदासीनता से ग्वालियर व भिंड सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां कई किसानों ने बीज तक नहीं खरीदे हैं।

अंचल के शिवपुरी, श्योपुर, दतिया व छतरपुर में किसानों ने बोवनी कर दी थी, लेकिन गर्मी से फसलें मुर्झाने लगी हैं। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि वह महंगे बीज व डीजल पर पैसे खर्च कर चुके हैं। हालात ये हैं कि एक सप्ताह बारिश नहीं होती है तो इन जिलों में फसलें सूख जाएंगी। अमूमन जून के आखिरी सप्ताह में ग्वालियर-चंबल संभाग के अधिकतर जिलों में मानसून सक्रिय हो जाता था। औसत बारिश होने से खरीफ की बोवनी हो जाती और तापमान भी नीचे आ जाता था, लेकिन इस बार मानसून के कदम ठहर गए हैं। प्री-मानसून भी नहीं बरस सका है, धरती तप रही है।

बाेवनी के लिए यह स्थिति चाहिए: बोवनी के लिए औसत बारिश 100 से 120 मिमी चाहिए। ग्वालियर चंबल के जिले इससे काफी पीछे हैं। औसतन तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहना चाहिए, जबकि तापमान 41 डिसे के ऊपर तक जा रहा है। इससे फसल सूख जाएंगी।

अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असरः

ग्वालियर चंबल संभाग की अर्थव्यवस्था फसल पर निर्भर है। यदि खरीफ व रवि का उत्पादन अच्छा होता है तो कारोबार भी अच्छा रहता है। जिले में सरकारी खरीद केंद्रों पर 300 करोड़ से ज्यादा खरीफ फसल की बिक्री होती है।

खरीफ की फसल अच्छी होने पर दीपावली पर बाजार रोशन होते हैं।

चंबल अंचल में धान की खेती बड़े क्षेत्रफल में होती है। यह फसल बारिश व बांधों पर निर्भर है। किसानों ने नर्सरी तैयार कर ली है, लेकिन बारिश नहीं हो रही है। धान की बोवनी 20 जुलाई तक आदर्श मानी जाती है। इसके बाद करने पर रवि की फसल प्रभावित होती है, क्योंकि यह 120 दिनों में आती है।

बारिश लेट होने से अब किसानों के पास दलहन-तिलहन उड़द, मूंग, बाजरा, ज्वार, तिली, सोयाबीन का विकल्प बचा है। इन फसलों को जुलाई में बोया जाता है तो सितंबर-अक्टूबर के मध्य तक पककर तैयार हो जाती हैं। इससे रवि प्रभावित नहीं होती है।

बारिश होने पर किसान मूंग, उड़द, तिल की बोवनी कर सकते हैं। अंचल में बोवनी के लिए अधिकतम 35 डिसे तक तापमान चाहिए। बारिश होने पर ही किसान खरीफ की बुवाई शुरू करें। बारिश नहीं होने से ग्वालियर में किसानों ने बीज तक नहीं खरीदे हैं।

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स्रोत: Nai Dunia