मई-जून में मिल सकेगा ताजा अंगूर का स्वाद, नई तकनीक विकसित

February 10 2021

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के मंदसौर स्थित रिसर्च सेंटर के विज्ञानियों ने बेलों की कटाई-छंटाई करके अंगूर की पैदावार का सीजन बदलने में सफलता प्राप्त की है। अब कृषि की पैदावार मई-जून में ली जा सकेगी। इसका फायदा किसान और उपभोक्ता दोनों को होगा। अंगूर को कोल्ड स्टोरेज में रखने का किसानों का खर्च बचेगा और लोगों को ताजा फल खाने को मिलेंगे।

कृषि विज्ञानियों के मुताबिक इस मौसम के फल की मिठास पारंपरिक सीजन के फल से अधिक होगी। कृषि विज्ञानियों ने चंबल अंचल की जलवायु को ध्यान में रखकर यहां उगाई जा सकने वाली अंगूर की प्रजाति डोंगरेज को उपयुक्त पाया है। अभी मध्य प्रदेश के मंदसौर में ही मुख्यत:अंगूर की खेती होती है।

अमूमन अंगूर की बेलों में फसल के लिए अक्टूबर में तैयारी की जाती है और फसल फरवरी में तैयार हो जाती है। बहुवर्षीय फसल अंगूर की बेलों के रखरखाव और कांट-छांट की जरूरत हर सीजन में होती है। चूंकि अंगूर गर्मियों में खाया जाता है तो इसकी फसल पहले आ जाने से इसे कोल्ड स्टोरेज में रखना होता है।

विज्ञानियों ने चार साल तक मेहनत कर ऐसी तकनीक विकसित की जिससे अंगूर की पैदावार मई-जून में होगी। गौरतलब है कि अंगूर की बेल को एक बार लगाकर 10 से 12 तक हर साल फसल ली जाती है। अंगूर का का मुख्य रूप से उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक में होता है। मौसम में आ रहे बदलावों के चलते वहां कीट आदि की समस्या बढ़ी तब कृषि विज्ञानियों के फसल चक्र बदलने पर काम शुरू किया।

अंगूर की इन किस्मों को नए सीजन के लिए किया तैयार

रिचर्स सेंटर में कृषि विज्ञानियों ने नए सीजन के लिए अंगूर की विभिन्न् प्रजातियों की बेलों की कटाई-छंटाई की। इसे साल के हर महीने के हिसाब से परखा। गुणवत्ता और उत्पादन पर अध्ययन किया। इसमें यह बात सामने आई कि गर्मी के मौसम में अंगूर की रंगीन किस्म फ्लेमसीड लैस से 90 से 110 दिन के बीच में उत्पादन लिया जा सकता है। किसमिस वेरायटी से 130 से 140 दिन में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन लिया जा सकता है। मंजरी और श्यामा किस्म से 120 से 125 दिन में पैदावार ली जा सकती है।

चंबल में भी हो सकेगी अंगूर की खेती

कटाई-छंटाई की नई तकनीक से विज्ञानियों के अंगूर को तेज गर्मी में भी उगने लायक बना दिया है। अब इसकी पैदावार चंबल अंचल में भी ली जा सकेगी। यहां डोंगरेज प्रजाति का अंगूर उत्पादन कारगर रहेगा। इस प्रजाति से 90 से 110 और 120 से 140 दिन में पैदावार ली सकती है।

इनका कहना

किसान अंगूर की फसल फरवरी में लेते हैं पर इस तकनीक के जरिये अब किसान मई-जून में अंगूर की फसल ले सकेंगे। यह भी सामने आया है कि मई-जून में आने वाली फसल का अंगूर स्वाद में अधिक मीठा, गुणकारी होगा। पैदावार पारंपरिक सीजन से अधिक होगी। जिससे किसानों का खर्च कम होगा और आय बढ़ेगी। -डा.नितिन सोनी, विज्ञानी, अंगूर रिसर्च सेंटर, मंदसौर

 

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स्रोत: Nai Dunia