बजट 2021 से केंद्र सरकार किसानों का भरोसा जीतने में नाकाम रही। ज्यादातर किसानों ने बजट 2021 में किसानों के लिए की गई घोषणाओं को नाकाफी बताया और कहा कि सरकार उन मूल मुद्दों को छूने में नाकाम रही जिन मुद्दों को लेकर पूरे देश का किसान आज सड़कों पर है।
उन्होंने यह अवश्य कहा कि फसलों की खरीद लागत मूल्य के डेढ़ गुने मूल्य पर की जा रही है, लेकिन यह सरासर झूठ है। सरकार किसानों की लागत मूल्य को गलत ढंग से निर्धारित करती है जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि पूरे देश के किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। वे तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे किसानों में भरोसा पैदा हो सके कि उनकी मांगों पर सरकार विचार करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि देश का बजट आबादी के अनुसार होना चाहिए। देश में किसानों की आबादी लगभग 65 प्रतिशत है लेकिन बजट में उसे तीन-चार प्रतिशत हिस्सा भी नहीं मिल पाता है। यह गरीब किसानों के साथ सरकार का सीधा अन्याय है।
किसान नेता प्रतिभा शिंदे ने भी बजट पर गहरी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार 23 फसलों की खरीद की घोषणा करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि गेहूं और धान के अलावा बाकी फसलों की खरीद नाममात्र को ही हो पाती है। गेहूं-धान की खरीद भी उतनी नहीं होती जितनी कि किसान करना चाहते हैं। ऐसे में किसानों की पूरी फसल की खरीद की गारंटी दिए बिना उनकी भलाई की बात करना बेमानी है।
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स्रोत: Amar Ujala