पीयू के अर्थशास्त्री बोले- किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए आत्मघाती हैं ये अध्यादेश

September 21 2020

केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए आत्मघाती कदम है। इससे किसान तो तबाह होंगे ही, वहीं देश की पहले से चरमराती अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान होगा। साथ ही 60 के दशक में भारत को जिस भोजन की कमी की विकट समस्या का सामना करना पड़ा था, वह स्थिति दोबारा से खड़ी हो सकती है।

यह कहना है पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर जसविंदर सिंह बराड़ का। अमर उजाला से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने यह कदम अमेरिका के दबाव में उठाया है। क्योंकि इस समय मोदी को चीन के खिलाफ अमेरिका के समर्थन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की अगुवाई वाले कई देश जैसे कनाडा, न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया वर्षों से ही यह चाह रहे थे कि भारत अपने खेती सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोले, ताकि वह अपने किसानों के खेती उत्पादों को भारत में बेच सकें।

प्रोफेसर बराड़ ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए इन कृषि अध्यादेशों से अब देश का किसान पूरी तरह से प्राइवेट खरीददारों के रहमो करम पर हो जाएगा। वह किसानों को मनचाहा दाम देंगे। अभी चाहे केंद्र सरकार जो भी कहे, बाद में किसानों को एमएसपी देने से भी पीछे हट जाएगी।

प्रोफेसर बराड़ ने कहा कि हर साल केंद्र सरकार पंजाब के किसानों से करीब 50 हजार करोड़ की फसल खरीदती है। यही पैसा पंजाब की अर्थव्यवस्था में जान फूंकता है। जब यह पैसा नहीं आएगा तो अर्थव्यवस्था का क्या हाल होगा, अंदाजा लगाना आसान है। यही हाल बाकी राज्यों का भी होगा। आगे कहा कि खेती की बढ़ती लागत के हिसाब से जब किसानों की आय नहीं होगी तो वह क्यों इस व्यवसाय से जुड़े रहेंगे। जिसका सीधा असर देश के अनाज उत्पादन पर पड़ेगा।

ऐसे में आशंका है कि भारत को एक बार फिर से भोजन की कमी के विकट संकट का सामना करना पड़ेगा। प्रोफेसर बराड़ ने कहा कि इन कृषि अध्यादेशों को पास करने के पीछे कोई भी तर्क देना बेहद गलत है। सरकार को इन्हें को तुरंत वापस लेना चाहिए।

 

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स्रोत: Amar Ujala