धान की खरीद में भी रिकार्ड तोड़ सकता है मध्यप्रदेश

November 20 2020

गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद में पंजाब को पीछे छोड़ने के बाद अब मध्य प्रदेश धान की खरीद में अपना पुराना रिकार्ड इस बार तोड़ सकता है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 25.86 लाख टन धान की खरीद पिछले साल हुई थी लेकिन इस बार 40 लाख टन खरीद का अनुमान है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में तेजी के साथ कृषि क्षेत्र में बदलाव आए हैं। कृषि कैबिनेट जैसे कदमों से कृषि क्षेत्र में सुधार हुआ है तो इसके नतीजे भी सामने आए हैं। मध्य प्रदेश देश का एक मात्र राज्य ऐसा है जिसे लगातार सात बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है। कृषि बजट की अलग व्यवस्था भी शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल से लागू है। प्रदेश में 16 नवंबर से पूरे प्रदेश में धान की खरीद प्रारंभ हो चुकी है। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने बताया कि अब तक रिकॉर्ड खरीद 25.86 लाख टन पिछले साल हुई थी। इस बार इसके 40 लाख टन पहुंचाने के आसार हैं। इसके पहले 129 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीदकर मध्यप्रदेश पंजाब को भी पीछे छोड़ चुका है। मध्यप्रदेश को सात बार केंद्र सरकार कृषि कर्मण अवॉर्ड समग्र उत्पादन, गेहूं उत्पादन से लेकर कृषि विकास दर को लेकर दे चुकी हैं।

प्राकृतिक आपदा में प्रभावित फसलों के लिए तय मुआवजा राशि बढ़ाना हो, खराब ट्रांसफार्मर बदलने के लिए प्रविधान करने हो या फिर उपज का वाजिब दाम नहीं मिलने पर भावांतर देना हो, कृषि कैबिनेट में विचार-विमर्श के बाद रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। प्रदेश अब बासमती धान के उत्पादन का बड़ा केंद्र बन गया है। हालांकि, पंजाब सहित अन्य राज्य मध्यप्रदेश को धान उत्पादक भौगोलिक क्षेत्र में शामिल होने से रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

इनका कहना है

प्रदेश के किसानों के साथ किसी भी सूरत में अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। बासमती धान की मान्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। शिवराज सरकार में कृषि कैबिनेट के माध्यम से किसानों से जुड़े मामलों में तेजी के साथ फैसले पहले भी लिए गए थे और आगे भी लिए जाएंगे। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत शरबती गेहूं, पिपरिया की दाल, बालाघाट के चावल सहित अन्य उपजों का पेटेंट भी कराया जाएगा। इसके लिए दस्तावेजी प्रमाण तैयार कराए जा रहे हैं।

 

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स्रोत: Nai Dunia