किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर बंद होने से हरियाणा के यमुनानगर में सब्जी उत्पादक किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है। आजादपुर मंडी में किसानों की गोभी की फसल नहीं पहुंच रही और स्थानीय मंडियों में फसल में लगाई गई लागत भी नहीं मिल पा रही है। इससे परेशान होकर किसान अपनी मेहनत की फसल को ट्रैक्टर चलाकर मिट्टी में मिला रहे हैं।
सरस्वती नगर के किसान कैलाश चौहान ने बताया कि गोभी प्रति एकड़ लगाने का खर्चा करीब 15 हजार रुपए आ रहा है। कुछ दिन पहले जो गोभी 25-30 रुपए प्रति किलो बिक रही थी। आज एक रुपये प्रति किलो के दाम भी नहीं मिल रहे हैं। सब्जियों के बीज बहुत महंगे मिल रहे हैं।
सरकार बीज आदि कम मूल्य पर उपलब्ध नहीं कराती है। मजदूर भी नहीं मिलते हैं। अब दिहाड़ी के लिए पहले से दोगुने पैसे चुकाने पड़ते हैं। सरस्वती नगर के अलावा सब्जी लगाने वाले अन्य गांव माली माजरा, मगरपुर, सारण, भगवानपुर के किसानों ने भी गोभी के भाव न मिलने के कारण ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया है।
छह एकड़ फसल को ट्रैक्टर से रौंदा
किसान सुभाष चौधरी व बब्बू ने बताया कि जब यह हालात बन गए की मंडी में ले जाने का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा तो उन्होंने गोभी के खेतों में ट्रैक्टर चलाकर नष्ट करना शुरू कर दिया। उन्होंने कल ही छह एकड़ में लगी गोभी को नष्ट किया ताकि उसमें दूसरी फसल लगा सके। उन्होंने बताया कि गोभी के अलावा आलू, शलगम, मूली, मटर के भावों में भी बहुत गिरावट आई है। सरकार की भावांतर योजना भी सब्जियों के दाम दिलाने में विफल साबित हो रही है।
भावांतर योजना नहीं दिला सकी सब्जियों के दाम
किसान अमर सिंह, सोहन सिंह, जसवंत सिंह, बसंत सिंह ने बताया सरकार की भावांतर योजना भी सब्जी के दाम दिलवाने में विफल साबित हो रही है। सब्जी पैदा करने वालों अन्य किसानों ने बताया कि वे पूरे परिवार के साथ अन्य मजदूर लगाकर खेतों में काम करते हैं। लेकिन उन्हें लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा। अब उन्होंने भी गोभी की फसल को नष्ट करना शुरू कर दिया है।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: Amar Ujala