झांसी में लहलहाया काला गेहूं, उपज से पहले किसान के पास आई बीज की मांग

February 04 2021

बुंदेलखंड में भी काले गेहूं की फसल लहलहा उठी है। बूढ़ा गांव के पास प्रगतिशील किसान हरजीत सिंह चावला ने करीब पांच एकड़ में काला गेहूं की फसल तैयार की है। फसल में बालियां लग चुकीं। अगले माह फसल के तैयार हो जाने की उम्मीद है। वहीं, फसल तैयार होने से पहले ही उनके पास बीज की मांग आनी शुरू हो गई।

पंरापरागत खेती के बजाए सरकार खेती में नवाचार को बढ़ावा दे रही। पूर्वांचल के साथ मप्र के कई जिलों में सामान्य गेहूं के बजाय काले गेहूं की खेती का चलन बढ़ा लेकिन, अभी तक बुंदेलखंड इससे अछूता ही रहा। कृषि महकमे के मंडलीय अफसरों को भी काले गेहूं की बुवाई के बारे में कुछ नहीं मालूम।

वहीं, सर्वनगर निवासी हरजीत सिंह चावला ने इसे झांसी में उगाकर नया आयाम स्थापित किया है। हरजीत बताते हैं कि कृषि विशेषज्ञों से चर्चा के बाद मालूम चला कि बुंदेलखंड की आबोहवा इसके मुफीद है। इसका उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह किया जा सकता है। उत्पादन भी सामान्य गेहूं की तरह प्रति हेक्टयर करीब 16 क्विंटल है। ऐसे में हरजीत का हौसला बढ़ा। 

उन्होंने इंदौर से करीब एक क्विंटल बीज मंगाकर नवंबर माह में बुवाई की। अब फसल करीब सवा फीट की हो चुकी। उनका कहना है अभी इसके बीज मिलने में भी मुश्किल है। ऐसे में उनके पास अभी से बीज की मांग आनी शुरू हो गई। काला गेहूं को खास तौर से मधुमेह रोगियों के लिए बेहतर माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें आयरन, जिंक, एंटी ऑक्सीडेंट सामान्य गेहूं की प्रजातियों से ज्यादा पाया जाता है। 

काले गेहूं की फसल किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। बता दें, सरकार ने गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, इटावा, फतेहपुर आदि जनपदों में काले गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए बीज वितरण कराया था लेकिन, बुंदेलखंड में इसका सरकारी वितरण नहीं हुआ।

 

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स्रोत: Amar Ujala